अनुलोम विलोम प्राणायाम Anulom Vilom Pranayam हठ योग के कई प्राणायाम में से एक है। इसे नाड़ी शोधन Nadi Shodhan प्राणायाम भी कहते हैं। यह...
अनुलोम विलोम प्राणायाम Anulom Vilom Pranayam हठ योग के कई प्राणायाम में से एक है। इसे नाड़ी शोधन Nadi Shodhan प्राणायाम भी कहते हैं। यहाँ अनुलोम विलोम का तरीका और फायदे बताये गए हैं।
प्राणायाम से शरीर में प्राण शक्ति पैदा होती है तथा योगासन से नाड़ियाँ शुद्ध होकर प्राणशक्ति पूरे शरीर में पहुँचती है।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम – Anulom Vilom
— आसन बिछाकर सुखासन ( पालथी ) , पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएँ। कमर और गर्दन सीधी रखें। यदि घुटनों और कमर दर्द के कारण नीचे बैठने में असुविधा हो तो कुर्सी पर बैठ जायें।
— बांया हाथ बाएं घुटने पर टिका कर तर्जनी और अंगूठे से ध्यान मुद्रा बना लें।
— दाएं हाथ की तर्जनी और मध्यमा अंगुली को भोहों के बीच अड़ाएं। यह स्थान आज्ञाचक्र होता है।
— आँख बंद कर लें। दाएं हाथ के अंगूठे से दायां नासाछिद्र बंद करें और बायें नासाछिद्र से धीमी गति से अधिकतम गहरी साँस अंदर भरें। ज्यादा ताकत ना लगायें।
— अब बायें नासाछिद्र को अनामिका और कनिष्ठा की मदद से बंद करके दायें नासाछिद्र से अंगूठा हटा लें और साँस धीरे धीरे बाहर निकाल दें।
— इसी तरह दाएं नासाछिद्र से अधिकतम गहरी साँस अंदर लेकर बायें नासा छिद्र से साँस बाहर निकालें।
— इस तरह एक चक्र पूरा होता है। ऐसे 11 चक्र करें।
— इसके बाद दोनों हाथ सीधे करके घुटने पर टिका लें और ज्ञान मुद्रा बना लें।
— एक मिनट सामान्य साँस लेते हुए विश्राम करें।
— यह अनुलोम विलोम प्राणायाम की पहली अवस्था होती है। इसका अच्छा अभ्यास होने के बाद दूसरी अवस्था में साँस भरने और छोड़ने के बीच तथा छोड़ने और लेने के बीच साँस रोकी जाती है। साँस रोकने को कुम्भक Kumbhak कहते हैं।
शुरू में साँस लेने ,रोकने और छोड़ने का अनुपात समान होता है। अभ्यास होने के बाद साँस का अनुपात 1 : 4 : 2 रखा जाता है। दूसरी और तीसरी अवस्था पर धीरे धीरे आना चाहिए। हृदय रोग से ग्रस्त हो तो साँस नहीं रोकनी चाहिये।
अनुलोम विलोम करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
साँस की गति धीमी होनी चाहिए। आवाज बिल्कुल नहीं आनी चाहिए।
कोशिश करें कि जितना समय साँस भरने में लगे उससे अधिक समय साँस बाहर निकलने में लगे।
मन में विचार लायें कि मेरा शरीर निर्मल, स्वस्थ एवं निरोगी हो रहा है।
प्राणायाम का अभ्यास सुबह खाली पेट करना चाहिये। सुबह ना कर पायें तो शाम को भी किया जा सकता है लेकिन उसके तीन घंटे पहले तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
बुखार , तेज सर्दी जुकाम या कफ आदि हो तो प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
योगासन हमेशा प्राणायाम से पहले करने चाहिए।
प्राणायाम करने वाली जगह पर ताजा , शुद्ध और खुली हवा के लिए स्थान होना चाहिये।
नियमित अनुशाषित तरीके से एक नियत पर प्राणायाम करने पर ही लाभ होता है। कभी कभार या अव्यवस्थित तरीके से किसी भी समय या गलत तरीके से प्राणायाम करना हानिकारक हो सकता है।
अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के कई फायदे हैं इस प्राणायाम को करने से सभी नाड़ियाँ शुद्ध हो जाती हैं। शरीर हल्का और निर्मल हो जाता है। मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है। मन शांत होता है , नकारात्मक विचार दूर होते हैं , तनाव , चिंता , घबराहट , बैचेनी दूर होती है।
नींद अच्छी आने लगती है। एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता का बढ़ती है। सर्दी जुकाम , एसिडिटी , सिरदर्द , जोड़ों का दर्द , नसों का फूलना आदि परेशानी दूर होने लगती है।
रक्त शुध्द होता है। फेफड़े शुध्द होते हैं। ऑक्सीजन अधिक मात्रा में मिलती है जिससे नसों में , फेफड़ों में , मष्तिष्क में , रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह अधिक बढ़ जाता है। आत्म विश्वास में वृद्धि होती है। श्वसन तंत्र मजबूत होता है।