इलायची ilayachi का उपयोग बहुत लम्बे समय से औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इसकी खुशबु, स्वाद और गुणों के कारण इसे मसालों की रानी कहत...
इलायची ilayachi का उपयोग बहुत लम्बे समय से औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इसकी खुशबु, स्वाद और गुणों के कारण इसे मसालों की रानी कहते हैं। आइये जानें इलायची के फायदे , पोषक तत्व और कुछ अलग बातें।
इसे हिंदी में छोटी या हरी इलायची Hari Elaichi , मराठी में वेल्चील Velchil , गुजराती में एलची Elchi , बंगाली में छोटी एलाची Chhoti Elachi तथा संस्कृत में एला Ella और अंग्रेजी में Cardamom के नाम से जाना जाता है। इलायची का पौधा सदाहरित होता है।
इसकी खुशबू, स्वाद और औषधीय गुण का कारण इसमें पाए जाने वाले विभिन्न तैलीय तत्व होते हैं।
इलायची के उपयोग – Use of cardamom
इलायची लगभग हर रसोई में मौजूद होती है। दूध , चाय , कॉफी , स्नेक्स , मिठाई , मीठे चावल , कई प्रकार की सब्जी आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
मिठाई में पिसी हुई या इलायची के दाने मिलाकर उसे उत्कृष्ट बनाया जाता है। इसे मुखवास के रूप में खाया जाता है। जिससे मुँह की बदबू मिटती है। इलायची डालकर बनाई गई चाय बहुत पसंद की जाती है।
मिडल इस्ट के अरब देशों में मेहमान का स्वागत कॉफी से किया जाता है जिसे गहवा Gahwa कहते हैं। इसमे पिसी हुई इलायची अच्छी मात्रा में मिलाई जाती है। इसे अरबी कॉफ़ी भी कहते हैं । इलायची का सबसे अधिक उपभोग अरब देशों में ही होता है।
इससे वहाँ की तेज गर्मी में बहुत लाभ होता है क्योंकि इलायची की तासीर ilaichi ki taseer ठंडी होती है। हमारे यहाँ भी मई जून की तेज गर्मी में इसका फायदा लिया जा सकता है।
एक समय भारत में इसका उत्पादन सबसे ज्यादा होता था। यहीं से पूरी दुनिया में इलायची भेजी जाती थी। अब इसका उत्पादन सबसे ज्यादा ग्वाटेमाला – अमेरिका में होता है।
दक्षिण भारत के केरल में मालाबार की पहाड़ियों में उत्कृष्ट गुणवत्ता की इलायची की खेती की जाती है जो पूरी दुनिया में मशहूर है। केरल , कर्नाटक तथा तमिलनाडु इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इलायची की कीमत इसके आकार , रंग तथा ताजगी से आँकी जाती है। हरे रंग की और बड़े आकार की ताजा इलायची अधिक महँगी होती है।
इलायची के पोषक तत्व – Cardamom Nutrients
इलायची में प्रोटीन , फाइबर , कार्बोहाइड्रेट तथा कई प्रकार की खनिज और विटामिन पाए जाते हैं। इसमें मैगनीज प्रचुर मात्रा में होता है। यह आयरन , कैल्शियम , मेग्नेशियम , पोटेशियम तथा जिंक का स्रोत होती है।
इसके अलावा इलायची से विटामिन C तथा विटामिन B समूह के पाइरीडोक्सिन , राइबोफ्लेविन , थायमिन आदि प्राप्त होते है।
इलाइची में पाए जाने वाले तैलीय तत्वों के कारण इसमें विशेष प्रकार के गुण होते है। इसमें मुख्य रूप से लिमोनीन नामक तैलीय तत्व सबसे अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इसमें पिनिन , सेबिनिन , मायरिन , गेरानिओल , तथा मेथाइल युजेनॉल आदि तैलीय तत्व होते है। इन्ही तेलों के कारण इलायची एक औषधि के रूप में काम करती है।
इलायची के फायदे – Cardamom Benefits
पेट की तकलीफ
पेट की तकलीफ में ईलाइची का उपयोग फायदेमंद होता है। यह एसिडिटी , पेट फूलना और पेट दर्द आदि परेशानी मिटाने में कारगर साबित होती है।
जी घबराना , उल्टी
जी घबराने पर ईलाइची का उपयोग हमेशा से किया जाता रहा है। सफर में जी मिचलाने पर इलयाची खाने से आराम मिलता है। उल्टी होने पर भी ईलाइची का उपयोग राहत देता हैं।
कामेच्छा बढ़ाने वाली
ईलाइची कामोद्दीपक मानी जाती है। इसमें शीघ्रपतन तथा नपुंसकता को दूर करने का गुण भी होता है।
फेफड़े
ईलाइची का उपयोग फेफड़ों से सम्बंधित परेशानी दूर करने में सहायक होता है। यह फेफड़ों के रक्त संचार बढ़ाकर उन्हें स्वस्थ बनाती है।
कोलेस्ट्रॉल
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हृदयरोग का कारण बन सकता है। इलायची के माइक्रो न्यूट्रिएंट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से रोकते हैं। इस प्रकार ईलाइची हृदय रोग से बचाती है।
डिप्रेशन
इसमें डिप्रेशन दूर करने की विशेषता होती है। इसमें पाए जाने वाले तैलीय तत्वों का उपयोग तनाव दूर करने के लिए अरोमाथेरेपी में भी किया जाता है।
मांसपेशी में जकड़न
कई बार मांसपेशी में अचानक से संकुचन होकर तेज दर्द होने लगता है। इस तरह की समस्या ईलाइची के उपयोग से दूर होती है।
विषैले तत्व का निष्कासन
मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में कई प्रकार के विषैले तत्व पैदा हो सकते है जो शरीर से बाहर निकलने जरुरी होते है अन्यथा कई गंभीर बीमारियाँ होने की संभावना होती है। इलायची को शरीर में पैदा होने वाले इन विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार पाया गया है।
रक्त संचार में वृद्धि
ईलाइची के तैलीय तत्वों का प्रयोग रक्त संचार सुधरने के लिए किया जाता है। इससे अस्थमा तथा ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव हो सकता है।
गले की खराश
गले की खराश में इलायची से आराम मिलता है। पानी में ईलाइची और दालचीनी डालकर उबाल लें। इस गुनगुने पानी से गरारे करने से गले की खराश में आराम आता है।
हिचकी
पानी में पिसी हुई ईलाइची डालकर उबालें। यह पानी पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
मुँह से बदबू
ईलाइची के कुछ दाने मुँह में रखकर चबाने से मुँह की बदबू मिट जाती है और भीनी भीनी ईलाइची की खुशबू आने लगती है।