खांसी , छींक , उबासी आदि शरीर की स्वाभाविक क्रियाऐं हैं। खांसी सुरक्षा प्रणाली है। जब गले में या फेफड़ों में कोई रूकावट आ जाती है त...
खांसी , छींक , उबासी आदि शरीर की स्वाभाविक क्रियाऐं हैं। खांसी सुरक्षा प्रणाली है। जब गले में या फेफड़ों में कोई रूकावट आ जाती है तो खांसी चलती है जिसमे फेफड़ों से तेजी से हवा निकलती है ताकि रूकावट दूर हो जाये।
साँस में रूकावट का कारण किसी प्रकार का तरल , बाहरी कण , सूक्ष्म जीवाणु या कफ आदि हो सकते हैं। खांसी सूखी भी हो सकती है या बलगम- कफ वाली तर खांसी भी हो सकती है।
खांसने की प्रक्रिया में तीन क्रम होते हैं :
पहला – सांस अंदर ली जाती है।
दूसरा – स्वर तंत्र बंद होकर गले और फेफड़ों में हवा का दबाव बनता है ।
तीसरा – अंत में खांसी की आवाज के साथ स्वर तंत्र खुलता है और हवा तेजी से बाहर निकलती है।
कभी भी अचानक खांसी चलना परेशान कर देता है। किसी मीटिंग आदि में खासी चलने से बहुत दिक्कत होती है। किसी समारोह आदि में यह आपको हिकारत भरी नजरों का शिकार बना सकती है। इसके कारण कभी सोना मुश्किल हो जाता है कभी थकान लगने लगती है।
कभी पसलियों में दर्द भी होने लगता है और महिलाओं को तो इससे कभी कभी यूरिन भी लीक हो जाता है। खासी अपने आप भी चलती है और जान बूझकर भी खाँसा जा सकता है। बड़े बुजुर्ग अक्सर जानबुझ कर खांस कर कुछ विशेष इशारा भी करते हैं।
थोड़ी बहुत खांसी चलना सामान्य होता है और बिना किसी उपचार के अपने आप एक दो सप्ताह में ठीक हो जाती है। लेकिन यदि खासी तेज चलती हो और बढ़ती जा रही हो , गले में गांठ या सूजन दिखाई दे, वजन कम हो गया हो , आवाज बदल गयी हो , खांसी के साथ खून आता हो , साँस लेने में दिक्कत होती हो , छाती में दर्द होता हो या बुखार रहता हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
खांसी होने के कारण – Reason of cough
खासी का सामान्य कारण सर्दी जुकाम होता है। एलर्जी के कारण होने वाला जुकाम भी खांसी का कारण बन सकता है। इसके अलावा खांसी के अन्य कारण प्रदुषण , गले में या फेफड़े में कुछ फंस जाना , ब्रोंकाइटिस , न्यूमोनिया , अस्थमा , फेफड़े में गांठ , हृदय रोग , नाक का पानी गले में चले जाना , खट्टी डकार तथा धूम्रपान आदि हो सकते हैं।
लम्बे समय तक खांसी चलने का कारण TB या फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है। ऐसे में चिकित्सक से सलाह अवश्य करनी चाहिए।
खांसी के घरेलु उपाय -Khansi ke gharelu nuskhe
ज्यादातर खांसी एक दो सप्ताह में ठीक हो जाती है। यदि ऐसा नहीं होता तो चेकअप करा लेना चाहिए। सामान्य खासी के लिए कुछ घरेलु उपचार लेने से आराम मिल जाता है।
जुकाम के कारण खांसी होने पर ठंडी चीज से परहेज करना चाहिए जैसे – दही , बर्फ , केला , फ्रिज का ठंडा पानी , आइसक्रीम आदि । तली हुई वस्तुएं भी नहीं लेनी चाहिए।
खांसी के घरेलु नुस्खे Khansi ke gharelu nuskhe इस प्रकार हैं :
— भुनी हुई फिटकरी 10 ग्राम और देसी खांड 100 ग्राम बारीक़ पीस कर दोनों को मिला लें। बराबर मात्रा की चौदह पुड़िया बना लें। रात को सोते समय एक पुड़िया एक कप गुनगुने दूध के साथ लें। इससे सुखी खांसी ठीक हो जाती है। तर खांसी हो तो गुनगुने पानी के साथ लें। इससे पुरानी खासी भी ठीक हो जाती है।
— काली मिर्च के बारीक़ पीस लें। इसमें से दो चुटकी आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें। दिन में तीन बार लें। खांसी में आराम मिलता है।
— काली मिर्च और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें थोड़ा घी मिलाकर छोटी लाल बेर के आकार की गोलियाँ बना लें। इसमें से एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। इस प्रयोग से सुखी खासी या तर खासी ठीक हो जाती है। गला बैठ गया हो तो वो भी इससे ठीक होता है।
— छोटे बच्चों को खांसी हो तो उनकी गुदा में थोड़ा सरसों का तेल लगा दें। इससे खांसी में बहुत आराम मिलता है।
— पान के पत्ते में चौथाई चम्मच अजवाइन रखकर चबाएं और रस निगलते रहें। कुछ दिन रोजाना लेने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
— अदरक का रस एक चम्मच और शहद एक चम्मच दोनों को मिलाकर हल्का सा गुनगुना करके चाट लें। दिन में तीन बार लें। तीन चार दिन लेने से बलगम वाली खांसी में बहुत आराम मिल जाता है। बच्चों को कम मात्रा में देने से उनकी खासी ठीक हो जाती है।
— सूखे आंवले का पॉउडर और मुलहठी पॉउडर बराबर मात्रा में मिला लें। इसमें से सुबह और शाम को एक एक चम्मच गुनगुने पानी से लें। इससे छाती में जमा हुआ बलगम साफ हो जाता है और बलगम वाली खांसी मिटती है।
— यदि छाती में कफ सूख कर जम गया हो तो दो गिलास पानी में दो चम्मच पीसी हुई अलसी मिलाकर उबालें। एक तिहाई रह जाने के बाद मसल कर छान लें। इसमें दो चम्मच मिश्री मिला दें। इसमें से एक एक चम्मच एक एक घंटे के अंतराल से लें। इससे सूखा हुआ कफ छूट जाता है। सूखे कफ के कारण होने वाली खांसी ठीक होती है।
— पानी में नीलगिरी का तेल या टी ट्री आयल मिलाकर भाप लेने से कफ साफ होता ही है साथ ही बैक्टीरिया और वाइरस से भी बचाव होता है। इसके लिए किसी बर्तन में दो गिलास पानी उबाल लें। उसमे 2 – 3 बूँद नीलगिरी का तेल और 4 – 5 बूँद टी ट्री ऑइल डालें।
इस बर्तन से भाप लेने के लिए मुंह को बर्तन के ऊपर लाते हुए तौलिये से चारों और से ढक लें ताकि भाप बाहर ना निकले। अब गहरी साँस लें। 5 -10 मिनट तक इस प्रकार भाप लें। दिन में दो तीन बार भाप लेनी चाहिए।
— पानी में पिपरमिंट के तेल की कुछ बूँद डालकर भाप लेने से भी कफ के कारण खांसी में आराम मिलता है।
— अदरक और पुदीना दोनों के प्रभाव से गले की खुश्की ठीक होती है। खुश्की और खिचखिच के कारण चलने वाली खांसी में ये बहुत लाभदायक होते हैं। इसके लिए एक चम्मच अदरक के टुकड़े और आठ दस पोदीने की पत्तियां एक कप पानी में डालकर उबाल लें। धीमी आंच पर उबलने दें। आधा रह जाये तब छान लें।
ठंडा होने पर इसमें आधा कप शहद घोल कर मिला दें। इसे एक कांच की साफ बोतल में भरकर रख लें। इसमें से दिन में तीन चार बार एक एक चम्मच पियें। इससे गले की खुश्की ठीक होकर खांसी मिटती है। इसे दो सप्ताह तक फ्रिज में रख सकते हैं।
— तुलसी का रस और अदरक का रस आधा आधा चम्मच , मुलहठी का चूर्ण चौथाई चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से कफ और खांसी दूर होती है। इससे नींद अच्छी आती है , साँस के रोग , पसली में दर्द , बुखार आदि में भी लाभ होता है।
— तुलसी के पत्ते – 11 , काली मिर्च -2 , सौंठ का चूर्ण – 1 चुटकी , अदरक टुकड़ा – 1/2 इंच और सेंधा नमक ये सब दो कप पानी में डाल कर उबाल लें। जब पानी आधा कप रह जाये तब छान लें। इसमें एक चम्मच पीसी मिश्री मिलाकर गुनगुना पियें। यह सर्दी , खांसी , कफ आदि में बहुत लाभ देता है।