दूध नहीं पचना जैसी परेशानी कई लोगों को होती है। इसे लेक्टोस इनटॉलरेंस Lactose Intolerance कहते हैं। दूध पचाने की क्रिया जन्म लेने के ब...
दूध नहीं पचना जैसी परेशानी कई लोगों को होती है। इसे लेक्टोस इनटॉलरेंस Lactose Intolerance कहते हैं। दूध पचाने की क्रिया जन्म लेने के बाद की जरुरी प्रक्रिया है। प्रकृति ने दूध पचाने की क्षमता सभी को दी है।
दूध में लेक्टोस नामक शक्कर होती है जिसे शरीर ग्लूकोस में परिवर्तित करके अवशोषित करता है और इससे शरीर को ताकत मिलती है। इस प्रकार की शक्कर सिर्फ दूध में होती है।
इसे पचाने के लिए लैक्टेस नामक एंजाइम की आवश्यकता होती है जो छोटी आंत में बनता है। 2 साल की उम्र तक यह एंजाइम भरपूर मात्रा में बनता है। 2 साल की उम्र के बाद इस एंजाइम का बनना धीरे धीरे कम हो जाता है।
यदि यह एंजाइम शरीर में बिल्कुल ना बन रहा हो तो दूध हजम नहीं होता है । ऐसे में दूध बिना पचे बड़ी आंत में चला जाता है और वहाँ जाकर सड़ने लगता है।
इसके कारण कई प्रकार की परेशानी होने लगती है जैसे दस्त , पेट फूलना , पेट में मरोड़ आदि। इसे ही दूध नहीं पचना doodh nahi pachna या दूध हजम नहीं doodh hajam nahi होना कहते है।
मेडिकल भाषा में इसे लेक्टोस इनटोलरेंस कहा जाता है।
लैक्टेस एंजाइम का नहीं बनना दूध नहीं पचने या दूध हजम नहीं होने का मुख्य कारण होता है। यह परेशानी दूध और दूध से बने सभी प्रकार की चीजों से जैसे आइसक्रीम आदि से होने लगती है।
सामान्य तौर पर डेरी पर मिलने वाले दूध में लेक्टोस की मात्रा 4 – 5 प्रतिशत होती है। प्रत्येक पशु जैसे गाय , भैंस , ऊँटनी , बकरी आदि के दूध में लेक्टोस की मात्रा अलग अलग होती है। बकरी के दूध में सबसे कम लेक्टोस होता है।
दूध नहीं पचना और दूध से एलर्जी में अंतर
Diffrence of Milk allergy and milk indigestion
— दूध से एलर्जी और दूध हजम ना होना दोनों अलग चीजें हैं।
दूध से एलर्जी होने पर दूध में मौजूद प्रोटीन के प्रति शरीर विपरीत प्रतिक्रिया करता है जबकि लेक्टोस इन्टॉलरेंस या दूध नहीं पचने का कारण दूध में मौजूद शक्कर होती है।
— दूध से एलर्जी , दूध नहीं पचने से ज्यादा नुकसानदेह हो सकती है।
दूध नहीं पचने के लक्षण
Lectose Intolerance Symptoms
दूध नहीं पचने पर दूध पीने के कुछ देर बाद कम या ज्यादा परेशानी होने लगती है। दूध पीने से यदि पेट फूलना , पेट में दर्द या ऐंठन , जी घबराना , दस्त आदि लक्षण दिखाई दे तो इसे दूध नहीं पचना या लेक्टोस इन्टॉलरेंस कहते है।
यह शरीर में लैक्टेस कितना बन रहा है इस पर निर्भर करता है। इसके अलावा कितना दूध पिया है इससे भी परेशानी कम या ज्यादा हो सकती है। कम दूध – कम परेशानी , ज्यादा दूध – ज्यादा परेशानी अतः दूध नहीं पचता तो दूध ना लें या कम मात्रा में ही लें।
दूध नहीं पचने के कारण – Lactose Intolerance Reasons
— दूध नहीं पचने का कारण ज्यादातर अनुवांशिक होता है। यदि घर में दूध से किसी को परेशानी होती है तो यह आपको भी हो सकती है।
— किसी कारण से शरीर में लैक्टेस का कम बनना दूध हजम नहीं होने का कारण हो सकता है।
— किसी किसी के शरीर में लैक्टेस तो खूब बनता है लेकिन उसमे दूध हजम करने की ताकत कम होती है। इसलिए दूध नहीं पचता।
— छोटी आंत में किसी प्रकार की खराबी होने पर लैक्टेस नहीं बन पाने के कारण दूध नहीं पचता।
— किसी बीमारी या संक्रमण के कारण आँतों में लैक्टेस के नहीं बनने से दूध हजम होना बंद हो सकता है।
— आंतो के किसी तरह के ऑपरेशन होने से भी यह समस्या पैदा हो सकती है।
दूध हजम ना होने पर क्या करें
What to do for lactose Intolerance
दूध हजम नहीं होता तो अच्छा तो यही होगा कि दूध और दूध से बनी चीजें ना लें। कुछ लोग दूध पीना प्राकृतिक रूप से गलत मानते है। क्योकि सिर्फ इंसान ही है जो माँ का दूध छोड़ने के बाद भी दूध का उपभोग करता रहता है। इस प्रकार से दूध नहीं पचना परेशानी नहीं है बल्कि यह एक प्राकृतिक व्यवस्था है।
दूध हजम नहीं होने पर क्या खाना चाहिए – What to Eat
दूध शाकाहारी भोजन का एक मुख्य अंग है। दूध से कई प्रकार के पोषक तत्व मिलते है जैसे कैल्शियम , प्रोटीन , विटामिन B 12 , विटामिन D , विटामिन A आदि। दूध हजम नहीं होने के कारण दूध नहीं ले पाने पर इन तत्वों की कमी हो सकती है अतः दूसरी ऐसी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए जो इन पोषक तत्वों की पूर्ति कर सके। ऐसी वस्तुएं इस प्रकार हैं –
संतरा , भिंडी , पालक , गोभी , बादाम , तिल , खजूर , अंजीर , चना , नारियल , सोया मिल्क , गाजर , ब्रोकली , शकरकंद , काशीफल , पपीता , आम , मटर इत्यादि। इसके अलावा विटामिन D के लिए धूप का उपयोग बढ़ाना चाहिए । भोजन में बदलाव के लिए चिकित्सक की सलाह भी ले लेनी चाहिए।