लीवर Liver या यकृत हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों में सबसे बड़ा अंग होता है। यह पेट के अंदर दायीं तरफ की पसलियों के पीछे स्थित होता है। ल...
लीवर Liver या यकृत हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों में सबसे बड़ा अंग होता है। यह पेट के अंदर दायीं तरफ की पसलियों के पीछे स्थित होता है। लीवर हमारे शरीर का एक मात्र ऐसा अंग है जो अपने आप पुनः बन सकता है।
यदि लीवर का एक चौथाई हिस्सा ही बचा हो और सही तरीके से काम कर रहा तो यह अपने आप पूरा बन जाता है। लेकिन यदि बार बार इसे हानि पहुँचती है तो यह फेल हो सकता है।
लीवर में कार्य करने वाले सेल हेपेटोसाइट्स कहलाते हैं। Liver का सम्बन्ध पाचन क्रिया से होता है यह तो लगभग सभी लोग जानते है। किन्तु लीवर का काम सिर्फ पाचन क्रिया तक सीमित नहीं होता है।
लीवर क्या काम करता है – What Liver Do
लीवर शरीर में सैकड़ों प्रकार के काम करता है। जिसमे से कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार हैं –
— पित्त का निर्माण और इसका स्राव।
— बिलरुबिन , कोलेस्ट्रॉल , हार्मोन , दवा आदि का निस्तारण।
— वसा , प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का पाचन।
— कई प्रकार के एंजाइम को कार्यरत करना।
— ग्लाइकोजेन , विटामिन , खनिज आदि का संग्रहण करना।
— एल्बुमिन का निर्माण।
— खून बहना रोकने वाले तत्वों का निर्माण करना।
— रक्त को विषैले तत्वों से मुक्त करके खून साफ करना।
— कई प्रकार के महत्वपूर्ण रसायन का निर्माण और स्राव , जो दूसरे अंगों के लिए आवश्यक होते हैं।
लीवर द्वारा बनाया गया पित्त Bile एक क्षारीय पदार्थ Alkaline होता है। यह पेट के एसिड को कम करके एसिड से होने वाले नुकसान से बचाता है। पित्त से ही वसा का पाचन होता है। इसके बिना शरीर भोजन से वे विटामिन ग्रहण नहीं कर पाता जो वसा में घुलनशील होते है जैसे विटामिन A , विटामिन D , विटामिन E , विटामिन K आदि।
लीवर द्वारा बनाये गए पित्त में से कुछ मात्रा सीधे ग्रहणी Duodenum में चली जाती है और कुछ मात्रा पहले पित्ताशय मे जाती है वहां पित्त गाढ़ा होता है उसके बाद पित्ताशय जरूरत के अनुसार इसका स्राव करता है। यह पाचन की क्रिया सही तरीके से होने के लिए जरुरी होता है।
भोजन के पचने के दौरान शरीर में अमोनिया बनती है। यह शरीर के लिए नुकसान देह हो सकती है। Liver इसको यूरिया में बदल देता है जिसे गुर्दे पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
शरीर को ऊर्जा यानि ग्लूकोज की आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है। जब हम भोजन नहीं करते तब ऊर्जा की जरुरत होने पर शरीर को ग्लूकोज़ Liver द्वारा प्राप्त होता है जो ग्लाइकोजेन के रूप में लीवर में संगृहीत रहता है।
लाल रक्त कण Red Blood Cells लगातार नए बनते रहते हैं। लीवर पुराने लाल रक्त कण को परिवर्तित करके हटाता रहता है। इस प्रक्रिया में बिलरुबिन बनता है जिसे लीवर शरीर से बाहर निकाल देता है।
Liver में संक्रमण के कारण बिलरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकल पाता इस वजह से आँखें , त्वचा आदि पीले रंग की दिखाई देने लगती है। पीलिया होने पर यही होता है। पीला रंग बिलरुबिन के अधिकता के कारण ही दिखाई देता है।
लीवर को किन चीजों से नुकसान होता है
Things harmful for liver
— लीवर शरीर में कई प्रकार के काम करता है। इस वजह से लीवर पर कई प्रकार के दबाव पड़ते है। इसलिए इसके क्षतिग्रस्त होने या संक्रमित होने की पूरी संभावना होती है।
— कुछ दवाओं के कारण Liver को क्षति पहुंच सकती है। विशेषकर पेरासिटामोल का अधिक उपयोग तथा कैंसर के उपचार में काम आने वाली कुछ दवाओं के कारण लिवर प्रभावित हो सकता है।
— लीवर को हेपेटाइटिस , सिरोसिस , कैंसर तथा कुछ विषैले तत्वों के कारण नुकसान पहुंचता है।
— शराब लीवर को नुकसान पहुंचाती है। शराब का अधिक समय तक और अधिक मात्रा में उपयोग Liver की बीमारी का कारण बनता है।
— हेपेटाइटिस B तथा हेपेटाइटिस C लीवर में कैंसर के मुख्य कारण होते हैं।
लीवर में फैट जमा होने के कारण इसका आकार बढ़ सकता है। इसे फैटी लीवर Fatty Liver कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसके प्रमुख कारण शराब पीना , मोटापा , खून में ज्यादा फैट , डायबिटीज , अनुवांशिकता तथा किसी दवा के साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं।
लीवर को नुकसान पहुँचने पर यह खुद की मरम्मत करने में सक्षम होता है। लेकिन यदि बार बार किसी कारण से Liver को नुकसान पहुंचता है तो लीवर में घाव हो सकते है जो ठीक नहीं हो पाते।
ऐसी अवस्था को सिरोसिस Cirrhosis कहते हैं। यह लीवर फेल होने का कारण बन सकता है। ज्यादा शराब पीना इसका मुख्य कारण होता है।
हेपेटाइटस लीवर में होने वाला संक्रमण है जिसके कारण लिवर में सूजन या जलन आदि हो सकते हैं। इनमे हेपेटाइटिस ए , बी , सी , डी और इ आदि होते हैं। इनमे हेपेटाइटिस ए और बी का वेक्सीन उपलब्ध है।
ये संक्रमण गन्दगी के कारण , दूषित रक्त चढ़ाने के कारण हो सकते हैं। अन्य संक्रमण के कारण भी Liver को क्षति पहुँच सकती है।
जब लिवर को नुकसान पहुँचता है और इसका ज्यादा हिस्सा नष्ट हो जाता है तो कुछ विशेष लक्षण प्रकट होने लगते हैं। लक्षण लिवर की बीमारी के अनुसार प्रकट होते हैं। Liver को नुकसान होने पर निम्न लक्षण प्रकट हो सकते है।
लीवर ख़राब होने के लक्षण – Liver Damage Symptoms
— असामान्य पीले रंग के दस्त होना।
— गहरे रंग का पेशाब आना।
— पीले रंग का पेशाब आना , यह पीलिया के लक्षण में से एक है।
— त्वचा में तेज खुजलाहट होना। यह बिलरुबिन का त्वचा में जमा हो जाने के कारण होता है।
— पेट , एड़ी के जोड़ यानि टखने पर सूजन आना , पैरों में सूजन यह लीवर द्वारा एल्बुमिन नहीं बना पाने के कारण होता है।
— अत्यधिक थकान होना। यह लीवर की खराबी के कारण पोषक तत्व , विटामिन आदि के अवशोषण में कमी तथा जरुरत के समय ग्लूकोज उपलब्ध नहीं होने के कारण होता है।
— खून बहना जल्दी बंद नहीं होना। लीवर ऐसे तत्व बनाता है जो खून बहना रोकते है।
— पेट में ऊपर दायीं तरफ दर्द होना।
हेपेटाइटिस होने पर लिवर में दर्द का अनुभव होता है तथा जी घबराना या उल्टी आदि भी हो सकते हैं । पित्ताशय में पथरी होने पर भी कुछ इसी तरह के लक्षण प्रकट होते हैं। जाँच करवाने पर सही स्थिति का पता चलता है।
यदि लीवर पर्याप्त मात्रा में खून बंद करने वाले तत्व नहीं बना पाता है तो ज्यादा खून बहने की या खून बंद नहीं हो पाने की परेशानी होने लगती है। थकान , कमजोरी , वजन गिरना , साँस लेने में परेशानी होना , इस तरह की परेशानी लिवर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं बनने के कारण हो सकती है।
लिवर में खराबी के कारण पुरुषों में स्तन बड़े होने या नपुंसकता की समस्या हो सकती है। क्योकि लीवर सेक्स हार्मोन को भी प्रभावित करता है। लिवर के अत्यधिक क्षतिग्रस्त होने पर पैरों में सूजन तथा पेट में पानी भर जाने की समस्या हो सकती है। इसका कारण लीवर का एल्बुमिन पर से नियंत्रण कम हो जाना होता है।
Liver ख़राब होने से अमोनिया का निस्तारण नहीं हो पाता जिसके कारण दिमागी संतुलन पर असर हो सकता है।
लीवर फंक्शन टेस्ट तथा रक्त की जाँच कराने पर लीवर में संक्रमण का सही से पता चल पाता है। इसकी और गहराई से जाँच करने के लिए सोनोग्राफी या सीटी स्केन की जाती है।
लिवर में संक्रमण से बचने के उपाय
— शराब नहीं पीनी चाहिए।
— साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। बाहर रेकड़ी पर मिलने वाले चाट या खुले में रखे खाद्य पदार्थ ,फल आदि नहीं खाने चाहिए।
— खून चढाने की जरुरत पड़े तो खून प्रमाणित जगह से ही लेना चाहिए जो संक्रमण से मुक्त हो।
— हेपेटाइटिस ए तथा बी के वेक्सीन लगवा लेने चाहिए।
— वजन कंट्रोल में रखना चाहिए तथा पोष्टिक आहार लेना चाहिए।
Disclaimer : इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जानकारी मात्र है , किसी भी उपचार के लिए कृपया चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।