दूध नहीं दे पाने की स्थिति में जिन गायों को किसानों और गौपालकों ने अनुपयोगी समझकर लावारिस भूखा-प्यासा भटकने के लिए छोड़ दिया था। अब उन्ही...
दूध नहीं दे पाने की स्थिति में जिन गायों को किसानों और गौपालकों ने अनुपयोगी समझकर लावारिस भूखा-प्यासा भटकने के लिए छोड़ दिया था। अब उन्हीं गायों के गोबर और पेशाब से नगर निगम की लालटिपारा गौशाला में कैचुआ खाद, नैचुरल खाद और धूपबत्ती बनाई जा रही है।
वहीं पेशाब से कैमिकल रहित गोनाइल और कीटनाशक दवाईयां व मच्छर भगाने की धूपबत्ती तैयार की जा रही है। कीटनाशक दवाईयां खेती और बागवानी के लिए बेहद उपयोगी हैं। इससे नगर निगम को भी अभी तक करीब 3 लाख रुपये का आर्थिक लाभ हो चुका है।
गौमूत्र से बन रहा गौनाइल
प्रकृति में गाय के गोबर और पेशाब को सबसे पवित्र और शुद्ध माना जाता है। हिन्दू धर्म में गाय के पेशाब और गोबर का उपयोग पंचगव्य में किया जाता है, कहा जाता है कि इसके पीने से मनुष्य के सभी दोष दूर हो जाते हैं। नगर निगम की लालटिपारा गौशाला में करीब 6000 गाय हैं, इन गायों से प्रतिदिन नगर निगम को 60 हजार किलो गोबर मिलता है।
इस गोबर का नगर निगम ने कई तरह से उपयोग करना शुरू कर दिया है। वहीं गाय की पेशाब जिसका अभी तक कोई उपयोग नहीं होता था उससे वहां पर अब फिनाइल के स्थान पर गौनाइल बन रहा है, जो फिनाइल से भी बेहतर कार्य करता है। साथ ही पेशाब से बनने वाले कीटनाशकों का उपयोग खेती में किया जा रहा है। जिससे खेती को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का खात्मा तो होता ही है साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी इसका कोई विपरित असर नहीं पड़ता।
धूपबत्ती में आयुर्वेदिक औषधी और घी का उपयोग
नगर निगम की लालटिपारा गौशाला में बनाई जा रही धूपबत्ती में गाय का गोबर, लाल चंदन, नागरमोथा, जटामासी, कपूर काचरी, गौमूत्र और देशी घी डाला जाता है। इनको मिलाने के बाद इसे आकार देकर सूखने के लिए रखा जाता है।
गौनाइल ऐसे हो रही तैयार
गौनाइल बनाने के लिए गाय और बछियाओं का गौमूत्र एकत्रित किया जाता है, इसके बाद इसमें चीड़ का तेल और नीम मिलाया जाता है। इससे जहां भी पोछा लगाया जाता है वहां के कीटाणु खत्म हो जाते हैं।
मच्छर भगाने वाली धूप
गोबर, गौमूत्र में जामारोजा, तुलसी, नीमगिरी, चीड़ का तेल, कपूर तेल, नीम तेल, नागरमोथा, मैंदा लकड़ी और रोहतक लकड़ी को मिलकर धूपबत्ती तैयार की जा रही है। बताया जाता है कि इसके जलाने से घर में सुगंध तो रहती ही है साथ ही मच्छर भी भाग जाते हैं।
खाद भी हो रही तैयार
गाय के गोबर से गौशाला में कैचुआ खाद भी तैयार की जा रही है, इस खाद को उद्यानों और किसानों को दिया जाएगा। गाय के गोबर को एकत्रित कर उसके स्ट्रक्चर बनाए गए हैं इन पर समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। जब यह सूख जाता है तो इसे छान कर किसानों को जैविक खाद बेचने के लिए तैयार किया जा रहा है।
गोबर से बन रही गोबर गैस
गाय के ताजे गोबर से प्रदेश के सबसे बड़े गोबर गैस प्लांट से गैस तैयार हो रही है, इस गैस से गौशाला में कार्य करने वाले कर्मचारियों एवं गौशाला का भ्रमण करने के लिए आने वाले करीब 200 लोगों का भोजन तैयार होता है। वहीं इससे निकलने वाले गोबर को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
निगम आयुक्त विनोद शर्मा कहते हैं-
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोबर गैस प्लांट और कैचुआ खाद को किसानों में बेचा जाता है। साथ ही गौनाइन का भी उत्पादन शुरू हो गया है जल्द ही इसे बड़े स्तर पर करने के लिए गौशाला में ही बाटलिंग प्लांट लगाया जाएगा। वहीं मार्केट में जल्द ही धूपबत्ती भी ला रहे हैं।
फैक्ट फाइल
- वर्ष 2017-18 में किसानों को गौशाला से 2.5 लाख रुपये की खाद बेची गई।
- होली पर करीब 42 हजार रुपये के कण्डे बेचे गए, साथ ही श्मशान में भी अभी तक करीब 30 शवों का लकड़ी विहीन कण्डों से दाह संस्कार किया गया।
- 40 हजार की अभी तक गौनाइल बिक चुकी है।
- अभी तक करीब 10 हजार रुपये की धूपबत्ती बनायी जा चुकी है। इसे जल्द ही मार्केट में लाया जाएगा।