आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को कई सदियों से सबसे सही माना गया है। आज हम एक उन्हीके विचार पर आपकी दृष्टि ढाल रहे है जो आपको म...
आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को कई सदियों से सबसे सही माना गया है। आज हम एक उन्हीके विचार पर आपकी दृष्टि ढाल रहे है जो आपको महिलाओं के दोषों के बारे में बताती है और पुरुषों के लिए अति नुक्सान दायक हो सकते है महिलाओं के यह दोष।
आचार्य चाणक्य का कहना था-
आचार्य चाणक्य का यह श्लोक महिलाओं के 5 दोषों के बारे में बताता है। इसके मुताबिक-
आचार्य चाणक्य का कहना था-
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता।अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।
आचार्य चाणक्य का यह श्लोक महिलाओं के 5 दोषों के बारे में बताता है। इसके मुताबिक-
- महिलाओं में पहला दोष होता है जीवन में कभी-कभी झूठ का सहारा लेना। झूठ बोलने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- चाणक्य बताते हैं कि महिलाएं अचानक कोई निर्णय लेकर ऐसा कार्य भी कर देती हैं जो उनके लिए बड़ी मुसीबत बन जाता है। बिना किसी योजना और सोच-विचार कर काम न करना भी एक दोष होता है।
- चाणक्य बताते हैं कि महिलाएं ऐसी होती हैं जो अपनी बात मनवाने के लिए, ध्यान आकर्षित करने के लिए या अपना प्रभाव जमाने के लिए हठ करती हैं। वे ऐसा प्रयास करती हैं कि लोग उनकी बात मानें। इन्हें समझना पुरुषों के लिए बहुत मुश्किल होता है।
- इसी श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि अतिआत्मविश्वास भी महिलाओं का एक दोष हो सकता है। इससे कार्य की शुरुआत तो हो जाती है लेकिन उसे पूर्णता की ओर ले जाने में अनेक कठिनाइयां आती हैं। यह आवश्यक भी नहीं कि ऐसा हर कार्य उचित हो।
- धन का लोभ अनेक लोगों को होता है, लेकिन चाणक्य ने इसे महिलाओं का दोष भी माना है। उनके मुताबिक महिलाओं को धन और स्वर्ण, गहने आदि से खास लगाव होता है। यह लगाव कई बार लालच बन जाता है और इससे अनेक दोष उत्पन्न होते हैं।
आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर प्रगति में भागीदार हैं। इसके लिए मुख्य कारण है - शिक्षा, लेकिन महिलाओं के लिए शिक्षा हमेशा उपलब्ध नहीं थी। खासतौर से चाणक्य जिस जमाने में हुए थे, तब के तौर-तरीके और रिवाज बिलकुल अलग थे।
तब आज की तुलना में महिलाओं के अधिकार और शिक्षा की व्यवस्था न के बराबर थी। देश में राजनीतिक संघर्ष का माहौल था। इसलिए महिलाओं के लिए अध्ययन-शिक्षण की समुचित व्यवस्था नहीं थी।
तब आज की तुलना में महिलाओं के अधिकार और शिक्षा की व्यवस्था न के बराबर थी। देश में राजनीतिक संघर्ष का माहौल था। इसलिए महिलाओं के लिए अध्ययन-शिक्षण की समुचित व्यवस्था नहीं थी।
इन दोषों को उस जमाने के संदर्भ में ही पढ़ना चाहिए।