युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी आ रही है। बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाने वाला हार्ट अटैक अब युवाओं को भी अपने घेरे में ले रहा ...
युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी आ रही है। बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाने वाला हार्ट अटैक अब युवाओं को भी अपने घेरे में ले रहा है। हाल ही में आए कुछ मामलों को देखें तो इनमें 26-27 साल के युवा भी दिल के रोगों के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञ इसके लिए उनकी नींद पूरी न हो पाना ही सबसे बड़ा कारण मानते हैं। इसी संदर्भ में एक शोध भी किया गया है।
क्या कहता है शोध
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा ने 130 हेल्दी कर्मचारियों पर एक सर्वे किया। इसमें सभी ने माना कि जिस दिन वो अपनी नींद में से 16 मिनट भी कम सोते थे या रात में अच्छी नींद नहीं आती थी, उसकी अगली सुबह उन्हें ऑफिस में दिक्कत का सामना करना पड़ता था। कम नींद की वजह से उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता था।
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा ने 130 हेल्दी कर्मचारियों पर एक सर्वे किया। इसमें सभी ने माना कि जिस दिन वो अपनी नींद में से 16 मिनट भी कम सोते थे या रात में अच्छी नींद नहीं आती थी, उसकी अगली सुबह उन्हें ऑफिस में दिक्कत का सामना करना पड़ता था। कम नींद की वजह से उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता था।
हार्ट अटैक की बड़ी वजह नींद की कमी
विशेषज्ञों की मानें तो हार्ट अटैक की एक बड़ी वजह नींद में कमी भी है। कम से कम छह से सात घंटे सोना ही चाहिए। इमसें अगर कोई कमी हो जाती है तो इसका असर हार्ट पर पड़ता है। जब नींद नहीं पूरी होती है तो स्ट्रेस बढ़ता है। ऐसे में हमें खुद को फ्रेश रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है।
विशेषज्ञों की मानें तो हार्ट अटैक की एक बड़ी वजह नींद में कमी भी है। कम से कम छह से सात घंटे सोना ही चाहिए। इमसें अगर कोई कमी हो जाती है तो इसका असर हार्ट पर पड़ता है। जब नींद नहीं पूरी होती है तो स्ट्रेस बढ़ता है। ऐसे में हमें खुद को फ्रेश रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है।
गलत आदतों के शिकार
थके हुए होने के बावजूद खुद को फ्रेश और एनर्जेटिक रखने के लिए हम अतिरिक्त मेहनत करते हैं। कुछ लोग इसके लिए चाय-कॉफी का सहारा लेते हैं। जबकि कुछ लोग स्मोकिंग, शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सहारे अपना तनाव और थकान कम करने की कोशिश करते हैं। जिससे सेहत पर दोहरा असर पड़ता है।
थके हुए होने के बावजूद खुद को फ्रेश और एनर्जेटिक रखने के लिए हम अतिरिक्त मेहनत करते हैं। कुछ लोग इसके लिए चाय-कॉफी का सहारा लेते हैं। जबकि कुछ लोग स्मोकिंग, शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सहारे अपना तनाव और थकान कम करने की कोशिश करते हैं। जिससे सेहत पर दोहरा असर पड़ता है।
खानपान और व्यायाम
खानपान और व्यायाम संबंधी आदतें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। वे लोग जो देर रात तक जागते हैं, सुबह नहीं उठ पाते। जिससे व्यायाम और वर्कआउट उनकी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बन पाता। इसका असर मांसपेशियों की सेहत पर पड़ता है। साथ ही खाने में कुछ भी अंट शंट यानी फास्ट फूड और मसालेदार खाना पाचन और दिल दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर डालता है।
खानपान और व्यायाम संबंधी आदतें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। वे लोग जो देर रात तक जागते हैं, सुबह नहीं उठ पाते। जिससे व्यायाम और वर्कआउट उनकी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बन पाता। इसका असर मांसपेशियों की सेहत पर पड़ता है। साथ ही खाने में कुछ भी अंट शंट यानी फास्ट फूड और मसालेदार खाना पाचन और दिल दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर डालता है।
लाइफस्टाइल बदलने की जरूरत
युवाओं में अब हार्ट अटैक कोई नई बात नहीं है। लाइफस्टाइल, खानपान की वजह से युवा डायबीटीज और हाइपरटेंशन के शिकार हो रहे हैं। धीरे-धीरे हार्ट के भी मरीज बन रहे हैं। इसके लिए बहुत जरूरी है कि वे अपने लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव लाएं। इसमें वर्कआउट, डाइट और सोने जागने की आदतें भी शामिल होनी चाहिए।
युवाओं में अब हार्ट अटैक कोई नई बात नहीं है। लाइफस्टाइल, खानपान की वजह से युवा डायबीटीज और हाइपरटेंशन के शिकार हो रहे हैं। धीरे-धीरे हार्ट के भी मरीज बन रहे हैं। इसके लिए बहुत जरूरी है कि वे अपने लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव लाएं। इसमें वर्कआउट, डाइट और सोने जागने की आदतें भी शामिल होनी चाहिए।