शिशु को बोतल से दूध देना कभी कभी जरुरी हो जाता है। यूँ तो स्तनपान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन कुछ हालात में बच्चे को बोतल से दूध ...
शिशु को बोतल से दूध देना कभी कभी जरुरी हो जाता है। यूँ तो स्तनपान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन कुछ हालात में बच्चे को बोतल से दूध पिलाना पड़ सकता है। बोतल से दूध पिलाने के फायदे भी है तो नुकसान भी हैं। आइये जानते है कि शिशु को बोतल से दूध पिलाने के क्या फायदे और नुकसान होते हैं।
शिशु को बोतल से दूध पिलाने के फायदे
— बोतल से दिया गया दूध पचाने में शिशु को देर लगती है। इससे शिशु को काफी समय तक भूख नहीं लगती। इससे आपको कुछ काम के लिए अधिक समय मिल पाता है। माँ का दूध पीने वाले शिशु का पेट जल्दी खाली हो जाता है। उसे जल्दी दुबारा पिलाना पड़ता है। ऐसे में माँ को बंधकर रहना (अधिक समय देना ) पड़ता है।
— बोतल से दूध पिलाने पर माँ को शिशु द्वारा पिए गए दूध का अंदाजा रहता है कि उसका पेट भर गया होगा या नहीं तथा बच्चे ने कितनी मात्रा में दूध पिया है इसका सही आकलन रहता है।
— बोतल से दूध माँ के अलावा भी शिशु को कोई भी दे सकता है। ऐसे में बाजार के जरुरी काम आसानी से निपटाये जा सकते हैं। यहाँ तक कि ऑफिस जाना भी शुरू किया जा सकता है।
— प्रसव के बाद माँ को भी पूरे आराम की जरुरत होती है ऐसे में रात की नींद नहीं होने पर थकान सी लगने लगती है। रात के समय शिशु बोतल से दूध पीकर शिशु आराम से सो जाता है इससे माँ को नींद लेने का समय मिल जाता है।
— शिशु को बोतल से दूध पिलाने में पिता भी मदद कर पाते हैं। यह मदद करने से शिशु और पिता के बीच घनिष्ठता बढ़ती है।
— शिशु के बड़े भाई या बहन इसमें मदद कर सकते हैं। इस काम में उन्हें आनंद आता है और उनका रिश्ता पनपता है। साथ ही बड़े होने की जिम्मेदारी का अहसास होने लगता है। उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
— बच्चे जब बोतल से दूध पी लेते हैं तो माँ अपनी पसंद के अनुसार किसी भी तरह के कपड़े पहन पाती है। स्तनपान कराते समय ऐसे कपड़े पहनना आवश्यक हो जाता है जिसमे स्तनपान कराना सुविधा जनक हो और खुद को ढक भी सकें।
— स्तनपान कराने वाली माता को गर्भ निरोधक उपाय अपनाते समय ध्यान रखना पड़ता है कि कहीं दूध पर उसका असर ना हो। बोतल से दूध पिलाने पर यह परेशानी नहीं होती।
— शिशु बोतल का दूध पीता हो तो माँ को खाने पीने में मिर्च मसाले या तीखी गंध युक्त खाना खाते समय सोचना नहीं पड़ता। जबकि स्तन का दूध माँ के भोजन से प्रभावित होता है और उसका असर शिशु पर भी पड़ता है अतः बहुत ध्यान रखना पड़ता है।
— सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने वाली माँ को कई बार अजीब से निगाहों का सामना करना पड़ सकता है। बोतल से दूध पिलाने पर यह परेशानी नहीं होती। ना तो कोना तलाश करना पड़ता है ना ही कपड़े सँभालने पड़ते हैं।
शिशु को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान
— बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को वह प्रतिरोधक क्षमता और पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो सकते जो उसे स्तनपान से मिल सकते हैं।
— जो शिशु बोतल से दूध पीते है उनके माँ के साथ उतना प्रगाढ़ रिश्ता नहीं पनप पाता जो स्तनपान से पनपता है।
— स्तनपान कराने से माँ को स्तन तथा ओवरी के कैंसर , अवसाद , डायबिटीज , ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से बचाव हासिल होता है जबकि बोतल से दूध पिलाने पर यह बचाव हासिल नहीं हो पाता।
— बोतल से दूध पिलाने के लिए तैयारी में अधिक समय लगता है। माँ कितनी भी थकी हुई हो या बीमार हो बोतल साफ करना उबालना , दूध गरम करना या ठंडा करना आदि काम करने ही पड़ते हैं।
— यदि बोतल की साफ सफाई में कोई चूक हो जाये तो बच्चे को इन्फेक्शन होने का डर रहता है।
— बोतल में दूध बच जाये तो उसे फेंकना ही पड़ता है। इसे बनाकर रख नहीं सकते। जब भी शिशु को भूख लगे सारी प्रक्रिया नए सिरे से करनी पड़ती है।
— बोतल से दूध पिलाने के लिए दूध कौनसा लेना उपयुक्त होगा यह डिसाइड करना कई बार मुश्किल हो जाता है क्योंकि बाजार में कई प्रकार के और कई ब्रांड के दूध उपलब्ध है।
— ताजा दूध हमेशा घर में उपलब्ध रहे इसका इंतजाम हमेशा करके रखना पड़ता है।
— बोतल से दूध पीने से बच्चे को पाचन और गैस सम्बन्धी समस्या हो सकती है।
— बोतल से दूध पिलाना स्तनपान की अपेक्षा महंगा पड़ता है। इसमें दूध , बोतल , साफ सफाई आदि पर अतिरिक्त खर्चा करना पड़ता है।
— बोतल का दूध पीने से शिशु को उस सुरक्षा और शांति का अहसास नहीं होता जो उसे स्तनपान से मिलता है। विशेषकर यदि बच्चा बीमार है या उसे कोई दूसरी परेशानी है जिसके कारण वह रोये जा रहा है।
बच्चे को बोतल से दूध पाने के फायदे नुकसान दोनों हैं। यह पूर्ण रूप से माता पिता पर निर्भर करता है कि वे वक्त और हालात को देखते हुए क्या चुनना पसंद करते हैं।