दही Curd , दूध , घी , मक्खन , छाछ आदि सभी शुद्ध और सात्विक आहार है। शाकाहारी भोजन में इनका उपयोग किया जाना आवश्यक है। कई प्रकार के प...
दही Curd , दूध , घी , मक्खन , छाछ आदि सभी शुद्ध और सात्विक आहार है। शाकाहारी भोजन में इनका उपयोग किया जाना आवश्यक है। कई प्रकार के प्रोटीन और विटामिनसिर्फ इन्ही से प्राप्त होते है।
भोजन में मौजूद कई प्रकार के पोषक तत्व इनके सहयोग से अवशोषित होते है। हम लोग दूध और Dahi का उपयोग सदियों से करते आ रहे है।
दूध को जमाकर दही बनाया जाता है। दही में लेक्टोबेसिलस नाम के बेक्टिरिया होते है जो दूध में मौजूद लैक्टोस नाम की शक्कर को तेजी से लेक्टिक एसिड में परिवर्तित कर देते है।
इसी वजह से दही का स्वाद खट्टा होता है। यह एक शानदार आहार है। इसे रोजाना खाया जा सकता है। Dahi से शरीर को कई प्रकार के फायदे प्राप्त होते है। इसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है।
दही के फायदे अब सारा संसार मानने लगा है। आजकल योगर्ट नाम बहुत सुनने में आ रहा है। ये दरअसल दही ही है। विदेशी कंपनिया Dahi को कई प्रकार के स्वाद में बदल कर योगर्ट के नाम से बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रही है
दही के पोषक तत्व – Curd Nutrients
Dahi se kya milta he
दही से उच्च क़्वालिटी के प्रोटीन मिलते है। एक कप Dahi दैनिक आवश्यकता का लगभग 25% प्रोटीन की जरूरत को पूरा करता है। इसमें कैल्शियम , फास्फोरस , ज़िंक , पोटेशियम , मैग्नेशियम प्रचुर मात्रा में होते है।
इसके अलावा इसमें विटामिन C , विटामिन B 6 , विटामिन B 12 , राइबोफ्लेविन , थाइमिन , व पेंटोथेनिक एसिड पाया जाता है। Dahi में ओमेगा 3 व ओमेगा 6 फैटी एसिड भी होते है। एक कप Dahi से लगभग 120 कैलोरी मिलती है।
दही के उपयोग – Uses of Curd
Dahi kaise kam me le
दही को मथकर उसमे पानी मिलकर छाछ बनाई जाती है , छाछ को मथकर मक्खन बनाया जाता है। Dahi से स्वादिष्ट श्रीखण्ड बनता है। इससे कई प्रकार की स्वादिष्ट चीजें बनाकर खाया जाता है। कई प्रकार के रायते जैसे बूंदी का रायता , ककड़ी का रायता , प्याज का रायता , पाइनेपल का रायता आदि दही से बनते है।
Dahi से बने दही बड़े का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है। दही से बनी स्वादिष्ट कढ़ी ने पूरे विश्व में धूम मचा रखी है। Dahi से कुछ लोग अपनी क्रिएटिविटी से अलग ही तरह की डिश बना कर खाते है।
दही के फायदे – Benefit of curd
Dahi se kya labh hote he
दही में कैल्शियम और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होने के कारण हड्डियों और दांतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।नियमित रूप से Dahi खाने से ऑस्टेरिओपोरेसिस तथा अर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा मांसपेशियों के सुचारू रूप से काम करने के लिए Dahi लाभदायक होता है।
दही में लेक्टिक एसिड होता है। इसके कारण यह एंटीफंगल की तरह काम कर सकता है। सिर में होने वाली रुसी यानि डेंड्रफ मिटाने के लिए Dahi कारगर होता है। सप्ताह में एक बार सिर में दस मिनट Dahi और मीठा सोडा मिलाकर सिर में लगाकर रखें फिर सादा पानी से धो लें। इससे रुसी ठीक हो जाती है।
दस्त लगने पर Dahi के साथ इसबगोल या चावल खाने से बहुत आराम मिलता है।
Dahi खाने से एनर्जी बनी रहती है। मन शांत रहता है। टेंशन में कमी आती है। इसीलिए हमारे यहाँ घर से बाहर जाते वक्त दही खिलाया जाता है जिसे शुभ मानते है।
दही में विटामिन E , ज़िंक तथा फास्फोरस की अच्छी मात्रा के कारण चेहरे को गोरा बनाने के लिए तथा त्वचा में ग्लो लाने के लिए Dahi बहुत लाभदायक होता है।
किसी किसी को दूध हजम नहीं होता है या किसी को दूध पीना पसंद नहीं होता है। ऐसे में पोषक तत्वों की जैसे कैल्शियम , प्रोटीन आदि की कमी हो सकती है। दही खाने से ये सभी तत्व आसानी से मिल जाते है और Dahi हजम भी आसानी से हो जाता है।
दही दिल के लिए अच्छा होता है कोलेस्ट्रॉल को कम करता है , ब्लड प्रेशर के लिए तथा गुर्दों के लिए लाभदायक होता है। बवासीर होने पर छाछ में अजवायन और जीरा पाउडर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
दही से बनी छाछ अमृत के समान गुणकारी होती है।
त्वचा पर सन टैनिंग हो जाती है यानि धूप से झुलस जाती है। इस झुलसी हुई त्वचा के लिए Dahi जैसा असर किसी चीज से नहीं होता। नियमित त्वचा पर कुछ दिन खट्टे Dahi की मालिश से सन टैनिंग ठीक हो जाती है।
Dahi या छाछ के नियमित उपयोग करने से नींद नहीं आने की समस्या ठीक होती है।
दही में बेसन मिलाकर इसे उबटन की तरह लगाकर नहाने से पसीने की बदबू से मुक्ति मिलती है और एक नई ताजगी का अहसास होता है।
दही कब नहीं खानी चाहिए – Dahi Kab nahi khaye
— बासी या खट्टा Dahi नहीं खाना चाहिए।
— रात के समय Dahi या छाछ नहीं लेने चाहिए।
— मांसाहार के साथ Dahi नहीं खाना चाहिए।
— कब्ज हो तो Dahi के स्थान पर छाछ का प्रयोग करना चाहिए।
— सर्दी , जुकाम , खांसी , कफ हो तो Dahi ना खाये।
— दमा या साँस की समस्या हो तो Dahi सावधानी पूर्वक खाये।
— त्वचा रोग की स्थिति में Dahi डॉक्टर से पूछ कर ही उपयोग में लें।
— शरीर में कही भी सूजन हो तो Dahi ना खाये वर्ना सूजन बढ़ सकती है।
— दहि को गरम करके नहीं खाना चाहिए।
— बसंत ऋतू में दहि का सेवन नहीं करना चाहिए।
— पढ़ें खाने पीने में ऋतू के अनुसार बदलाव किस प्रकार करने चाहिए।
दही ज़माने का सही तरीका – Dahi Kaise Banaye
Dahi kaise banate he
दहि जमाने के लिए तापमान बहुत महत्वपूर्ण होता है। सही तापमान होने पर दहि बहुत अच्छा बनता है। दहि के लिए 30° – 40° सेलसियस तापमान सबसे अच्छा होता है। इसीलिए गर्मियों के मौसम में दहि अच्छा जमता है।
सर्दी के दिनों में तापमान 30 ° C से कम होने पर दही अच्छा नहीं जमता। दूध से दहि ज़माने के लिए डाले जाने वाले एक चम्मच दहि को जामन कहा जाता है।
फ्रिज में एक चम्मच जितना दहि अलग से जरूर रखना चाहिए ताकि जरुरत के वक्त आपके पास दहि ज़माने के लिए जामन मौजूद हो। वैसे जामन के अलावा दूसरे तरीकों से भी दहि जमाया जा सकता है।
गर्मियों में दही ज़माने के लिए — Garmi me dahi
दूध — 500 ग्राम
दही — एक चम्मच
दूध को उबाल कर कमरे के तापमान तक ठंडा कर लें। एक कटोरी में एक चम्मच दहि लें इसमें दो चम्मच दूध मिला लें। इसे ठंडे किये हुए दूध में डाल दें और जाली से ढक दें। 5 से 6 घंटे में ताजा खाने लायक दही तैयार हो जायेगा।
गर्मी में दही जल्दी खट्टा हो जाता है, अतः जमने के तुरंत बाद इसे फ्रिज में रख देना चाहिए। इसे फ्रिज में रखकर दो दिन तक काम में लिया जा सकता है। गर्मी के मौसम में मिट्टी के बर्तन में दही ज़माने से भी यह देर से खट्टा होता है।
ज़माने के लिए — Sardi me dahi
दूध — 500 ग्राम
दही — दो चम्मच
दूध को उबाल कर ठंडा कर लें। दूध में अंगुली डाल कर देखने पर हल्का गर्म लगना चाहिए। एक कटोरी में दो चम्मच दहि लें। इसमें चार चम्मच दूध मिला दें। इसे दूध में डाल दें।
अब दूध के बर्तन को ऐसी जगह रखें जहाँ इसका तापमान बना रह सके जैसे आटे में दबा दें या कैसरोल में डाल कर ढ़क्कन लगा दें। माइक्रोवेव को प्रीहीट करके बर्तन इसमें रख सकते हैं। अथवा बर्तन को मोटे कपड़े से लपेट दें। 6 से सात घंटे में ताजा खाने लायक दही तैयार हो जायेगा।