डॉक्टर की डिग्री उनकी नेम प्लेट और पर्ची पर लिखी होती हैं। ये शार्ट फॉर्म में लिखी होती है जिसे कुछ लोगों के लिए समझना थोड़ा मुश्किल हो...
डॉक्टर की डिग्री उनकी नेम प्लेट और पर्ची पर लिखी होती हैं। ये शार्ट फॉर्म में लिखी होती है जिसे कुछ लोगों के लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है। आइये जानें डॉक्टर की डिग्रियों के क्या मतलब हैं , कौनसी और कितनी पढ़ाई करके ये डिग्री हासिल की जाती हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में सबसे ज्यादा एलोपैथी यानि अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति चलन में हैं। अधिकतर हॉस्पिटल या प्राइवेट क्लिनिक में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वाले डॉक्टर ही होते हैं। हालाँकि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से उपचार का चलन भी अब बहुत बढ़ गया है। जिसमे मुख्य रूप से आयुर्वेद के अलावा होमिओपैथी तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति शामिल हैं।
चिकित्सा का क्षेत्र सेवा क्षेत्र है। मानव शरीर की जटिलता के कारण कोई भी चिकित्सा पद्धति अपने आप में सम्पूर्ण नहीं कही जा सकती है। किन्तु हरेक पद्धति की उपलब्धियाँ भी असीमित हैं। हर पद्धति की दवा का असर प्रत्येक शरीर पर अलग हो सकता है। लेकिन इनका उद्देश्य मानव मात्र के स्वास्थ्य व उसके जीवन की रक्षा करना होता है।
अपने डॉक्टर पर श्रद्धा पूर्वक विश्वास करके उपचार करवाने से अवश्य ही स्वास्थ्य लाभ होता है।
डॉक्टर की डिग्री व नेम प्लेट पर लिखे अक्षर
Name Plate & Degree of Doctors
कुछ और शब्द जो एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर की नेम प्लेट पर लिखे होते हैं उनका अर्थ तथा वह डिग्री किस प्रकार की और कितनी पढ़ाई या अनुभव के बाद प्राप्त की जाती है , इस प्रकार हैं –
MBBS : बेचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बेचलर ऑफ़ सर्जरी
इसका अर्थ है बेचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बेचलर ऑफ़ सर्जरी। यह दो डिग्रियों से मिलकर बनी है। MBBS की डिग्री हासिल करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे DR. लिख सकता है।
इस डिग्री को प्राप्त करने के लिए लगभग साढ़े पांच साल लग जाते हैं जिसमे एक साल की इंटर्नशिप यानि वास्तविक उपचार करने का अनुभव शामिल होता है।
यह शिक्षा भारत में मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया MCI के नियंत्रण में होती है।
MD : डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन
यह MBBS करने के बाद दवाइयों से सम्बंधित पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होती है जो एक विशेष क्षेत्र में की जाती है। इसमें 3 वर्ष का समय लगता है। यह कोर्स अधिकतम रूप से प्रेक्टिकल तथा रिसर्च आधारित होता है और इसमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। जिस क्षेत्र में यह अनुभव लिया जाता है उसी के अनुरूप यह डिग्री होती है जैसे हृदय रोग के स्पेशलिस्ट MD Cadiology होते हैं , इसी तरह MD Naphrology या MD Gastroenterlogy होते हैं।
DM : डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन
यह MD करने के बाद ली जाने वाली दवाओं की सुपर स्पेशलिटी डिग्री है। इसे करने में तीन वर्ष का समय लगता है। जैसे MD pediatrics करने के बाद उसी क्षेत्र में सुपर स्पेशलिस्ट डिग्री DM Neonatology प्राप्त होती है। किसी विशेष क्षेत्र में MD के बाद विशेष क्षेत्र में DM किया जा सकता है।
MS : मास्टर ऑफ़ सर्जरी
यह चिकित्सा क्षेत्र की सर्जरी यानि ऑपरेशन से सम्बंधित पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है जो MBBS के बाद ली जा सकती है। इसे करने में 3 वर्ष का समय लगता है। इसे करने के बाद MS General surgery या MS Orthopedics लिखा जाता है।
MCh : मास्टर ऑफ़ चिरुर्जी CHIRURGIE
चिरुर्जी लेटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ सर्जरी ही होता है। MS करने के बाद आगे 3 वर्ष और पढ़कर यह सुपर स्पेशलिटी डिग्री हासिल की जाती है। इसके बाद यह डिग्री नाम के साथ जुड़ती है जैसे MCh Neuro surgery या MCh Surgical Oncology
उपरोक्त सभी डिग्री मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया MCI द्वारा प्रदान की जाती हैं। इसके लिए MCI द्वारा मान्यता प्राप्त संसथान में रेजीडेंसी होनी चाहिए।
DNB : डिप्लोमेट इन नेशनल बोर्ड
यह पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है जो नेशनल बोर्ड ऑफ़ एग्जामिनेशन NBE देता है तथा यह यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ के अंतर्गत होता है। बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में इनकी ट्रेनिंग होती है। यह दो साल का कोर्स होता है।
MD या MS की अपेक्षा इस कोर्स में प्रवेश लेना ज्यादा आसान होता है।
FNB – फेलोशिप इन नेशनल बोर्ड
DNB , DM या MCh करने के बाद और 2 साल अनुभव लेने पर यह डिग्री NBE से प्राप्त की जाती है।
डिप्लोमा – Diploma
MBBS करने के बाद यदि 2 और पढ़कर डिप्लोमा किया होता है तो वो इस तरह होता है –
D.G.O. : डिप्लोमा ऑफ़ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्ट्रेट्रिक्स
D.T.M.&H. : डिप्लोमा ऑफ़ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हेल्थ
D.H.A. : डिप्लोमा इन हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन
FICMCH : Fellow of Indian College of Maternal & Child Health.
यह MD , MS या DNB के बाद किया जाने वाला कोर्स है।
कुछ अन्य डिग्री का अर्थ यह होता है –
FAIS: Fellowship of Association of Surgeons of India
FIAMS: Fellow of the IMA Academy of Medical Sciences
FICS: Fellow of the International College of Surgeons.
FACS: Fellow of the American College of Surgeons
बम्बई में स्थित कॉलेज ऑफ़ फिजिशियन एंड सर्जन ( CPS ) से ली हुई फेलोशिप इस प्रकार होती हैं –
FCPS(MED) – FCPS-Medicine
FCPS(CH) – FCPS-Child HealthMch
Ph D : डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी
यह पोस्ट ग्रेडुएशन यानि MS या MD करने के बाद किया जाने वाला रिसर्च करके किया जाने वाला कोर्स है। इस कोर्स में किसी विषय में गहराई तक जाकर उसे समझा जाता है और अतिरिक्त छानबीन की जाती है। इसमें 2 से 5 वर्ष का समय लग सकता है।
इसके अलावा अन्य वैकल्पिक चिकित्सा विज्ञान के लिए ये डिग्री होती हैं –
B.H.M.S. : Bachelor of Homoeopathic Medicine and Surgery
यह होमियोपैथी में किया जाने वाला अंडर ग्रेजुएट कोर्स है। 5 साल 6 महीने (इंटर्नशिप सहित ) की पढ़ाई के बाद यह डिग्री प्राप्त होती है। कई प्रकार की बीमारियों में इस चिकित्सा विज्ञान के बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
DMH : Doctor of Medicine in Homoeopathy
यह होमियोपैथी का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होता है। इस डिग्री को प्राप्त करने वाले डॉक्टर होमिओपैथी में स्पेशलिस्ट का दर्जा रखते हैं।
CHMS : Certificate Course in Homeopathic Medicinal System
यह डिग्री BHMS करने के बाद किसी विशेष क्षेत्र में अतिरिक्त कॉर्स करके हासिल की जाती है।
BAMS : Bachelor of Ayurvedic Medicine & Surgery
यह आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान में अंडर ग्रेजुएट कोर्स करके प्राप्त की जाती है। इसे करने के बाद आयुर्वेदाचार्य बनते हैं।
MD ( Ayu ) : Doctor of Medicine in Ayurveda
यह आयुर्वेदिक दवाओं से सम्बन्धित पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है।
MS ( Ayu ) : Master of Surgery in Ayurveda
यह आयुर्वेद की शल्य चिकित्सा यानि ऑपरेशन से सम्बन्घित पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है।
BUMS : Bachelor of Unani Medicine and Surgery
यह यूनानी दवाओं से सम्बंधित अंडर ग्रेजुएट डिग्री है। इसे करने के बाद यूनानी चिकित्सा के हकीम की उपाधि प्राप्त होती है।
इनके अलावा भी कुछ अन्य डिग्रियां चिकित्सा के क्षेत्र में होती है। इनकी जानकारी होने से आप किस चिकित्सक से उपचार करवाना चाहते हैं निश्चित किया जा सकता है।