तुरई Turai या तोरू Tori ( ridge guard ) गर्मी के मौसम में आने वाली एक अत्यंत लाभदायक सब्जी है। यह अपनी कड़ी धारियों से पहचानी जाती ह...
तुरई Turai या तोरू Tori ( ridge guard ) गर्मी के मौसम में आने वाली एक अत्यंत लाभदायक सब्जी है। यह अपनी कड़ी धारियों से पहचानी जाती है। तोरई जब छोटी, कच्ची और हरी होती है तभी सब्जी बनाने में काम आती है।
इसकी एक दूसरी किस्म भी आती है जिसे गिलकी या गलगल तोरु कहते है।
पकने के बाद तुरई की धारियाँ बहुत कड़ी हो जाती है। तब इसे स्क्रबर की तरह काम लिया जाता है।
गुजराती मे इसे घिसोड़ा ghisoda , तुरीया turia , मराठी में दोडकी dodki , शिरोल shirol तथा संस्कृत और आयुर्वेद में इसे कोशातकी koshataki कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार तोरई की तासीर Turai ki Taasir ठंडी होती है यह पित्त और कफ दोष को दूर करती है तथा वात को बढ़ाती है
तुरई दुनिया भर में उगाई जाती है। अलग अलग जगह इसे अलग नाम से पुकारा जाता है। विदेशों में इसे रिजगार्ड Ridge Guard , सिल्क गार्ड , स्पंज गार्ड , चाइनीज ओकरा , एंगल लूफा आदि के नाम से जाना जाता है।
पकने और सूखने के बाद इसका छिलका हटाने पर आप दंग रह जायेंगे। इसमें प्राकृतिक रूप से बना हुआ लूफा स्पंज निकलता है। इसे नहाने के स्पंज की तरह स्किन पर यूज़ किया जा सकता है। इससे डेड स्किन निकल जाती है।
तुरई के पोषक तत्व – Ridge Guard Nutrients
तोरई में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट तथा कई प्रकार में विटामिन और खनिज पाए जाते है। यह एक हरी सब्जी है और हरी सब्जी के सभी गुण इसमें मिलते हैं। तुरई में पाए जाने वाले खनिज में कैल्शियम , कॉपर , आयरन , मैग्नीशियम , मेगनीज , फास्फोरस , पोटेशियम आदि शामिल हैं।
इसके अलावा इसमें विटामिन A , विटामिन C , विटामिन B समूह के रिबोफ्लेविन , थायमिन , फोलेट , नियासिन आदि होते है। कुछ मात्रा में आयोडीन और फ़्लोरिन भी पाए जाते हैं ।
तुरई के सभी हिस्से जैसे पत्तियाँ , फूल , बीज और जड़ औषधि के रूप में काम आ सकते हैं।
तोरई के फायदे – Benefits of Ridge guard
— तुरई क्षारीय प्रकृति की होने के कारण शरीर पर ठंडा प्रभाव डालती है। पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए फायदेमंद होती है। गर्मी के मौसम में इसका उपयोग लू लगने से बचा सकता है।
— तुरई खून साफ करती है तथा खून की कमी दूर करती है।
— यह लीवर को मजबूत बनाती है। यह शराब पीने के कारण लीवर को हुए नुकसान को कम कर सकती है।
— तोरई खाने से रक्त में तथा पेशाब में शक्कर की मात्रा कम होती है अतः डायबिटीज वाले लोग इसे खा सकते हैं।
— इसके फायबर कब्ज को मिटाकर बवासीर में आराम पहुंचाते हैं। तुरई के नियमित उपयोग से बवासीर Piles में बहुत लाभ होता है।
— तोरी बालों को असमय सफ़ेद होने से रोकने के लिए घरेलु नुस्खे की तरह काम करता है। इसके लिए तुरई को छिलके सहित काट कर सुखा लिया जाता है। इसे पीस कर पाउडर बनाया जाता है। इसे तेल में मिलाकर बालों में लगाने से बालों का सफ़ेद होनाकम हो जाता है।
— जब तुरई Ridge Guard बेल पर पक कर सूख जाती जाती है तो इसे तोड़ने पर इसमें से लूफा स्पंज निलकता है। इस लूफा स्पंज का उपयोग नहाते समय त्वचा को घिसने में किया जा सकता है।
यह त्वचा को नर्म और जवां बनाता है तथा शरीर से डेड स्किन को हटाता है। इससे स्किन स्मूथ और चमकदार हो जाती है। यह शरीर से पसीने की बदबू को भी दूर करता है।
— पेट के कीड़े मिटाने के लिए एक तुरई को दो गिलास पानी में उबालकर नमक मिलाकर दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते है।
— इसमें एंटी-वायरल तथा एंटी-फंगल गुण होने के कारण तोरई का नियमित उपयोग करने से जुकाम जैसे रोग दूर रहते है।
— तोरई का सत्व कई प्रकार की दवाओं में काम लिया जाता है जो एलर्जी में लाभ देता है। होम्योपेथी की कई दवाओं में तुरई का सत्व काम लिया जाता है।
— तुरई की पत्तियाँ पीस कर इसमें पिसा लहसुन मिलाकर लगाने से कुष्ठ रोग मे लाभ होता है।
— तुरई के बीज से निकाला गया तेल त्वचा रोग में फायदेमंद होता है।
— तोरई में पानी की मात्रा अधिक होती है साथ ही इसमें फायबर भी भरपूर होता है। यह वजन कम करने में सहायक होता है।
— तोरई का उपयोग पीलिया तथा लीवर से संबधित परेशानी दूर करने में औषधि का काम करता है। इसका इस्तेमाल भोजन में करने से पेट के अल्सर में आराम मिलता है तथा अपच की समस्या दूर होती है। इसके जलन सूजन आदि दूर करने का गुण पेट की तकलीफ से मुक्ति दिलाता है।
— तुरई के पत्ते का रस लगाने से कीड़े मकोड़े के काटने से आई सूजन कम हो जाती है।