थाइरॉइड Thyroid की समस्या का जल्दी से पता नहीं चलता और परेशानी बढ़ती जाती है। अतः इसकी बेसिक जानकारी सभी को होनी चाहिए विशेषकर महिलाओं ...
थाइरॉइड Thyroid की समस्या का जल्दी से पता नहीं चलता और परेशानी बढ़ती जाती है। अतः इसकी बेसिक जानकारी सभी को होनी चाहिए विशेषकर महिलाओं को। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है। इसके लक्षण पहचान कर टेस्ट करवा लेने से समस्या बढ़ती नहीं है , जल्दी ठीक होकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
आइये जानें थायरॉइड ग्रंथि कहाँ होती है यह कैसे काम करती है , कौनसे हार्मोन का निर्माण करती है और इन हार्मोन की कमी या अधिकता से क्या दिक्कत हो सकती है।
थायरॉइड ग्रंथि शरीर में मौजूद अन्तः स्रावी ग्रंथियों endocrine glands में से एक है। यह गर्दन में स्थित होती है और इसका आकार तितली जैसा होता है । यह ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन रक्त में प्रवाहित करती है जिन्हें सरल भाषा में T4 तथा T3 के नाम से जाना जाता है। ये क्रमशः Thyroxine व Triiodothyronine नामक हार्मोन हैं।
ये हार्मोन शरीर की सही कार्यविधि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक कोशिका को इन हार्मोन की जरुरत होती है। यदि इन हार्मोन के स्राव में गड़बड़ी होती है , जो कि कई लोगों को हो जाती है तो शरीर में कई प्रकार की परेशानी होने लगती है।
थायरॉइड ग्रंथि क्या काम करती है
थायरॉइड ग्रंथि का मुख्य काम हार्मोन का स्राव करना होता है। ये हार्मोन शरीर में होने वाली कई प्रकार की गतिविधि के लिए जरुरी होते हैं जैसे साँस लेना , हृदय की धड़कन , शरीर का तापमान , भूख लगने , खाना पचने तथा उससे ऊर्जा मिलने की प्रक्रिया आदि। इसके अलावा बच्चों के दिमाग के विकास और शारीरिक वृद्धि के लिए भी इनकी पर्याप्त मात्रा में जरुरत होती है।
थायरॉइड ग्रंथि से हार्मोन का स्राव पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा नियंत्रित होता है। मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्लैंड pituitary Gland जरुरत के अनुसार TSH ( Thyroid stimulating harmon ) नामक हार्मोन का स्राव करती है। TSH हार्मोन प्राप्त होने पर ही थायरॉइड ग्रंथि T4 तथा T3 नामक हार्मोन का स्राव करती है। TSH की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथि का कार्य भी प्रभावित होता है।
थायरॉइड ग्रंथि को हार्मोन के निर्माण के लिए पर्याप्त मात्रा में आयोडीन की जरुरत पड़ती है। क्योकि T4 और T3 हार्मोन में आयोडीन के क्रमशः 4 और 3 परमाणु होते हैं। आयोडीन शरीर में नहीं बनता इसे भोजन से प्राप्त करना पड़ता है। नमक को आयोडीन युक्त बनाने से दैनिक रूप से इसका उपभोग हो जाता है और शरीर में आयोडीन की कमी नहीं होती। कुछ खाने पीने की चीजों से भी आयोडीन प्राप्त होता है।
आयोडीन किसमें पाया जाता है
नमक के अलावा प्राकृतिक रूप से कई चीजों से आयोडीन प्राप्त हो सकता है जो इस प्रकार हैं –
चीज़ , गाय का दूध , अंडा , नमकीन पानी की मछली आदि समुद्री भोजन , सोया दूध , दही आदि।
थायरॉइड हार्मोन की गड़बड़ी का शरीर पर असर
थायरॉइड ग्रंथि में खराबी होने से उसमे से होने वाले हार्मोन का स्राव सामान्य से कम या ज्यादा हो सकता है। इससे शरीर का तापमान , शरीर द्वारा हार्मोन और विटामिन का उपयोग , शारीरिक ऊर्जा आदि प्रभावित होते हैं।
जब अधिक हार्मोन का स्राव होता है तो कोशिकाएँ सामान्य से अधिक तेजी से काम करने लगती हैं जिसे हाइपर थायरोडिस्म Hyperthyroidism कहते हैं। इसके कारण हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। आँतों की गतिशीलता बढ़ जाती है इससे दस्त हो सकते हैं।
कभी कभी महिलाओं में गर्भावस्था के कारण थायरॉइड की परेशानी शुरू हो सकती है या पहले से हो तो यह समस्या बढ़ सकती है। इसका उपचार नहीं होने पर यह माँ और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। जिसमे गर्भपात , समय से पहले प्रसव आदि हो सकते हैं।
यदि हार्मोन का स्राव कम होता है तो यह हाइपो थाइरोडिस्म Hypothyroidism कहलाता है। ऐसी अवस्था में हृदय की धड़कन सामान्य से कम हो सकती है , सर्दी ज्यादा लग सकती है या आँतो की कम क्रियाशीलता के कारण कब्ज हो सकती है।
इसके अलावा इसकी वहज से महिलाओं में उचित तरीके से ओवरी से अंडे नहीं निकल पाते और गर्भाधान में परेशानी आ सकती है। थायरॉइड की कमी से गर्भ में शिशु की मृत्यु या भ्रूण का अविकसित रहना जैसे गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं ।
थाइरॉइड की समस्या वाले ज्यादातर लोगों को हार्मोन की कमी होती है। शरीर पर होने वाले इस असर के कारण कई प्रकार के लक्षण प्रकट होने लगते है। हार्मोन की कमी या अधिकता से होने वाले लक्षण इस प्रकार है –
हाइपो थायरोडिस्म ( हार्मोन की कमी ) के लक्षण
Hypothyroidism Symptoms
थायरॉइड हार्मोन की कमी के लक्षण सूक्ष्म होते हैं। इसके लक्षण धीरे धीरे महीनो या सालों में प्रकट हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के लक्षण और इस हार्मोन की कमी के लक्षण कुछ एक जैसे हो सकते हैं। इसलिए पहचानने में गलती होने की संभावना होती है । समस्या बढ़ने पर लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं।
मेटाबोलिज्म प्रभावित होने के कारण शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। कभी कभी लक्षण बहुत कम होते है और पता नहीं चल पाता। रक्त की जाँच कराने पर ही पता चलता है। इस हार्मोन की कमी से होने वाले लक्षण इस प्रकार हैं –
— रूखे बाल या बाल अधिक गिरना
— त्वचा का रूखापन
— नाख़ून टूटे फूटे होना
— त्वचा में हल्का पीलापन
— त्वचा ठंडी रहना
— सर्दी सहन नहीं होना
— नींद ज्यादा आना
— थका हुआ और कमजोर महसूस होना
— कब्ज
— याददाश्त की कमी
— डिप्रेशन
— एकाग्रता की कमी
— ज्यादा या अनियमित रक्तस्राव जो 5 से 7 दिन तक भी हो सकते हैं।
— गले में सूजन ,
— वजन 4 – 5 किलो तक बढ़ना ,
— चेहरे और हाथ पैरों पर सूजन विशेष कर आँखों के आस पास ,
— गला बैठना ,
— मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
— कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
हाइपर थायरोडिस्म ( हार्मोन की अधिकता ) के लक्षण
Hyperthyroidism Symptoms
थायरॉइड हार्मोन के अधिक स्राव के कारण मेटाबोलिक दर बढ़ जाती है। कोशिका सामान्य से अधिक सक्रीय हो जाती हैं जिसके कई प्रकर के विपरीत प्रभाव शरीर में महसूस होने लगते हैं।
इसके मुख्य लक्षण में ये शामिल हैं –
— पसीना ज्यादा आना ,
— गर्मी सहन नहीं होना ,
— हृदय की धड़कन बढ़ना ,
— दस्त लगना ,
— वजन गिरना ,
— हाथों में कम्पन ,
— आँखें बाहर निकली हुई और बड़ी दिखना ,
— चिंता फ़िक्र अधिक होना ,
— आँखों में दुखाव या किरकरी महसूस होना।
— अनियमित माहवारी
— ब्लड प्रेशर बढ़ना
— भूख ज्यादा लगना
— जी घबराना ,
— खुजली होना ,
— नींद आने में दिक्कत होना ,
— पुरुषों में स्तन जैसे उभार प्रकट होना’
यदि थायरॉइड के कारण चक्कर आना , साँस लेने में परेशानी , बेहोशी , हृदय की धड़कन बहुत ज्यादा आदि महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
थायरॉइड की गड़बड़ी का कारण
— आयोडीन की कमी
— ऑटो इम्युनिटी सम्बन्धी बीमारी
— थायरॉइड ग्रंथि में बैक्टीरिया या वाइरस के कारण सूजन
— थायरॉइड ग्रंथि में कैंसर या बिना कैंसर वाली गांठ होना
— किसी दवा के असर के कारण
— किसी अनुवांशिक विकृति के कारण
आपके लक्षण , गर्दन की जाँच के आधार पर रक्त की जाँच कराने की सलाह चिकित्सक द्वारा दी जा सकती है। रक्त की जाँच सी रक्त में T 3 , T 4 और TSH का स्तर मापा जाता है। इस रिपोर्ट में इनका कम या ज्यादा स्तर होने पर दवा शुरू की जाती है।