बागवानी पौधशाला ( Horticulture Nursery)

बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण...


बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना| इसलिए नर्सरी या पौधशाला वह स्थान है, जहाँ बीज की बुवाई, पौधों को तैयार करना, तैयार पौधों की देखभाल और उन्हें रोपण के लिए उपलब्ध कराना होता है| सामान्य तौर पर व्यवसायिक नर्सरी में फल, फूल, सब्जी, औषधीय और वानिकी पौधों को तैयार किया जाता है|

बागवानी पौधशाला का महत्व
  1. बागवानी पौधशाला (नर्सरी) बहुवर्षीय पौधों मुख्यतया फल वृक्षों में पौधरोपण के 4 से 5 वर्ष पश्चात ही वास्तविक गुणवत्ता का पता चलता है, इसलिए उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विश्वसनीय नर्सरी का महत्व बहुत बढ़ जाता है, नही तो सारी मेहनत बेकार जाती है|
  1. आदर्श बागवानी पौधशाला से ही निरन्तर स्वस्थ और प्रमाणिक पौधे रोपण के लिए उपलब्ध होते है|
  1. वानस्पतिक विधि से प्रवर्धन के लिए रोगरहित, उत्पादक मातृ पौधे से ही सांकुर या कलियाँ ली जाती हैं, ऐसे पौधों से स्थापित बाग की गुणवत्ता लम्बे समय तक बनी रहती है|
  1. पौधशाला का क्षेत्र सीमित होने के कारण पौधों की देखभाल और पालन-पोषण आसानी से किया जा सकता हैं।
  1. पॉली हाऊस या नेट हाऊस में पौधों के अंकुरण व वृद्धि के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान की जाती है, इसलिए पर्यावरण की प्रतिकूल परिस्थतियों में भी पौधों को सफलतापूर्वक तैयार किया जा सकता है|
  1. बागवानी पौधशाला में सघन देखभाल सम्भव है, जिससे पौधों को समय पर कीट, रोग व खरपतवारों से बचाया जा सकता है|
  1. विभिन्न सब्जियों, फलों की अगेती और पिछेती फसल लेकर अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है, इसके लिए पौध की उपलब्धता अच्छी पौधशाला से ही सम्भव है|
  1. सब्जियों के संकर किस्मों के बीज मंहगे होने के कारण इन्हें पौधशाला में तैयार करना अधिक उचित होता है|

स्वस्थ बागवानी पौधशाला (नर्सरी) तैयार करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे-
स्थान का चयन- पौधशाला स्थापित करने के लिए ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए, जहाँ पर्याप्त मात्रा में प्रकाश उपलब्ध होता हो, सिंचाई की सुविधा और पानी के निकास की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए| पानी में यदि लवण की मात्रा अधिक है, तो उसे सिंचाई के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए, स्थान विशेष में आवागमन की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए|
भूमि का चयन- पौधशाला के लिए जीवांश युक्त दोमट भूमि जिसका पीएच मान 6 से 7.5 हो, उपयुक्त होती है| अधिक बलुई भूमि और भारी चिकनी भूमि में वायु संचार की कमी के कारण पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं होती, अधिक क्षारीय, लवणीय, उसरीली और कंकरीली भूमि का भी चयन बागवानी पौधशाला के लिए नहीं करना चाहिए|
मिट्टी उपचार- पौधशाला की मिट्टी को कीट और रोग से मुक्त रखने के लिए मिट्टी का उपचार करना अति आवश्यक है, मिट्टी उपचार निम्नविधियों से कर सकते है, जैसे-
  1. बागवानी पौधशाला हेतु कीटनाशक दवाईयों जैसे थिमेट को मिट्टी में मिलाकर कीटों से मुक्त किया जा सकता है|
  1. यदि मिट्टी में दीमक की समस्या है, तो भूमि की तैयारी करते समय क्लोरोपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लिटर पानी के मिश्रण का छिड़काव करने से इसकी रोकथाम की जा सकती है|
  1. बागवानी पौधशाला में लगने वाले मिट्टी जनित रोगों से बचाव के लिए कवकनाशक दवाईयों जैसे- बेविस्टीन 2 ग्राम प्रति लिटर का घोल बनाकर मिट्टी को अच्छी तरह तर कर दें|
  1. एक भाग फॉरमेल्डीहाईड और 100 भाग पानी को अच्छी तरह मिलाकर फॉरमेलिन का घोल तैयार किया जा सकता है| इस घोल की पाँच लीटर मात्रा एक वर्गमीटर में छिड़काव करें, तत्पश्चात इसे पॉलीथीन से अच्छी तरह आठ दिन तक ढक दें, उसके बाद पॉलीथीन हटाएं और भूमि को 7 से 10 दिन के लिए खुला छोड़े दें| इस उपचार से पौधशाला की मिट्टी में लगने वाले कीट और रोगों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है| पॉलीथीन की थैलियों में उपयोग होने वाले मिश्रण को भी उपरोक्त विधि से उपचारित कर लेना चाहिए|
  1. शुष्क क्षेत्रों में जहां सूर्य का प्रकाश बहुत तेज और गर्मियों में तापमान अधिक रहता है, उस समय मिटटी का सोर्गीकरण किया जाना चाहिए, इस विधि में मिट्टी को बारीक बनाने और गोबर खाद मिलाने के पश्चात अच्छी तरह पानी से भिगो देना चाहिए| इसके बाद उसके ऊपर 250 गेज की पारदर्शी पॉलीथीन से ढक कर 3 से 4 सप्ताह के लिए छोड़ देना चाहिए, इससे मिट्टी में उपस्थित कीड़ों के अण्डे, बीमारियों के रोगाणु और खरपतवार के बीज नष्ट हो जायेंगे, यह कार्य अप्रैल से जून तक किया जा सकता है|

गमले वाले पौधों की देखभाल
विभिन्न आकार और माप के गमले बाजार में उपलब्ध होते है, आमतौर पर मिट्टी, सीमेन्ट और प्लास्टिक के गमले उपयोग में लाये जाते है| लेकिन शुष्क क्षेत्रों में जहां तापमान और वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है, वहां मिट्टी वाले गमले ही अधिक उपयुक्त होते है, गमलों को भरने के लिए मिश्रण मुख्यतया तीन प्रकार से बना सकते है, जैसे-
  1. परलाईट, वरमीकुलाईट, सड़ी पत्तों की खाद, मिट्टी 1:1:1:2 अनुपात में मिलाकर मिश्रण तैयार करें|
  1. बगीचे की मिट्टी, सड़ी पत्तों की खाद, रेत, बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्रण बनाएं|
  1. चिकनी मिट्टी, सड़ी गोबर की खाद, रेत, पीट मॉस, बराबर-बराबर मात्रा में मिलाना उपयुक्त रहता है|

बागवानी पौधशाला में गमले के रख-रखाव के लिए निम्न लिखित बातें आवश्यक हैं, जैसे-
  1. प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो और यदि पत्ते पीले पड़ जाएं तो सूर्य प्रकाश की व्यवस्था करें, या आवश्यकतानुसार ट्यूब लाईट आदि से रोशनी की मात्रा बढ़ाएं|
  1. ग्रीष्म ऋतु में यदि पत्ते मुरझाने लगे तो उन पर पानी का छिड़काव अवश्य करें|
  1. निम्बोली अर्क का गमलों पर छिड़काव समय समय पर करते रहना चाहिए|
  1. वर्मीकल्चर को 250 ग्राम प्रति गमला वर्ष में दो बार मिलाकर दें, और उचित नमी बनायें रखें|
  1. एक निश्चित अवधि के बाद गमलों की सामग्री का मिश्रण बदल देना चाहिए और आवश्यकतानुसार उचित मात्रा में चूना, चारकोल, बोनमील या नीम की खली को मिलाना चाहिए|

प्राथमिक बागवानी पौधशाला (नर्सरी)
प्राथमिक बागवानी पौधशाला (नर्सरी) वह स्थान है, जहां मूलवृन्त तैयार करने के लिए बीजू पौधों के बीज की बुवाई की जाती है| इसके लिए विभिन्न प्रकार की क्यारियाँ जैसे उठी हुई, समतल, संकेन क्यारियाँ व अनेक प्रकार के प्रो ट्रे, प्लास्टिक क्रेट्स का प्रयोग किया जाता है| पपीता, अमरूद, नीबू वर्गीय, आदि पौधे, जिनके बीज छोटे होते हैं, की बुवाई प्राथमिक पौधशाला में कर सकते हैं और बीज अंकुरण के 15 से 20 दिन पश्चात उनको द्वितीयक पौधशाला में स्थानान्तरित कर दिया जाता है|
प्राथमिक बागवानी पौधशाला का उपयोग, कलम द्वारा प्रवर्धित पौधे जैसे- अनार, अंजीर आदि में फूटान कराने के लिए भी किया जाता है| शुष्क क्षेत्रों में आमतौर पर छायादार नेट हाऊस के अन्दर लगभग एक फीट गहरी, दो फीट चौड़ी क्यारियों में बालू और रेत भरकर कलम लगा देते हैं, इसके बाद उसमें फूटान होने के उपरान्त द्वितीयक पौधशाला में स्थानान्तरित कर देते हैं|

द्वितीयक पौधशाला (नर्सरी)
बागवानी पौधशाला (नर्सरी) हेतु आमतौर पर पौधशाला में क्यारी तीन फीट चौड़ी और पन्द्रह से बीस फीट लम्बी होती है, लेकिन सुविधानुसार लम्बाई घटाई एवं बढ़ाई जा सकती है| इन क्यारियों से एक फीट गहरी मिट्टी खोदकर, 7 से 10 दिन तक खुला छोड़ देते हैं, जिससे भूमि में उपस्थित कीट, कवक और जीवाणु नष्ट हो जाएं, तत्पश्चात् बाजार में पौधशाला हेतु उपलब्ध चार इंच चौड़ाई और दस इंच लम्बाई की पॉलीथीन थैलियां लेकर नीचे के मुंह की ओर पाँच इंच लम्बाई के भाग में बोरी सिलाई के सुएं से 5 से 6 छिद्र कर दें, इस प्रकार सुऐं से प्रत्येक थैली के आधे भाग में 10 से 12 छिद्र हो जायेगें|
इसके बाद थैलियों को भरने के लिए पौधशाला की क्यारी में ही छनी हुई गोबर की खाद, चिकनी मिट्टी और बालू रेत को बराबर भाग में यानि की समान मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें और फिर थैलियां भरना शुरू करें, थैलियां भर कर क्यारियों में सीधी रखें जिससे छोटे पौधे, कलम लगाने और पानी देने में आसानी रहे|

मातृ पौध पौधशाला
अच्छी गुणवत्ता वाली बागवानी पौधशाला की स्थापना में मातृ पौध का महत्वपूर्ण स्थान है, मातृ पौधे किसी अच्छी पौधशाला से चयन किये गये पौधों से प्रवर्धित करके रोपण करना चाहिए| इन पौधों की फलन, कीट और व्याधियों के प्रति अभिक्रिया कुछ वर्षों तक देखने के बाद ही इनसे आगे प्रवर्धन हेतु सांकुर लेना चाहिए, सांकुर या कलियाँ हेतु पौधशाला में सभी पौधे लगे होने चाहिए|
इन पर नामपत्र और उनका रेखांकन भी उपलब्ध रहना चाहिए, नाम पत्र पर किस्म का नाम, पौधे की आयु, प्रत्येक वर्ष फलोत्पादन की मात्रा, फलों के गुण, कीट और व्याधियों के प्रति अभिक्रिया आदि का उल्लेख रखना चाहिए|
यदि प्रारम्भ में ही रोगग्रसित, अनुत्पादक मातृ पौधे से प्रवर्धन किया गया हो तो बाद की देख-रेख सब बेकार होगी, ऐसे पौधों से अच्छे बाग की स्थापना सम्भावित नहीं रहती है|

पौध प्रवर्धन में प्रयुक्त विभिन्न क्रियाएँ
बागवानी के लिए फलों को उगाने, बीजों के अंकुरण, कलम में मूल विभेदन, नये अंकुरित पौधों या जड़युक्त कलमों और गुटी द्वारा प्रवर्धित पौधों के कठोरीकरण के लिए नाना प्रकार की संरचनाओं का उपयोग समय-समय पर किया जाता है, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है, 

ग्रीन हाऊस
बागवानी पौधशाला हेतु आमतौर पर सुविधानुसार विभिन्न आकार के ग्रीन हाउस बनाये जाते हैं, यह ज्यादातर 5 मीटर चौड़ाई, 20 मीटर लम्बाई और 2.5 से 3 मीटर ऊँची घर के आकर की संरचना होती है, जिसको हरे रंग की जाली से ढका जाता है, बाजार में जाली आमतौर पर हरे, सफेद, काले रंगों में तथा 30 से लेकर 90 प्रतिशत प्रकाश अवरोधी उपलब्ध रहती हैं, परन्तु नर्सरी के लिए 50 प्रतिशत प्रकाश अवरोधी हरी जाली सबसे उपयुक्त रहती हैं|
निर्माण- इसका निर्माण जीआई पाइप, बांस या लकड़ी की सहायता से किया जाता सकता है, जो 5 से 20 वर्ष तक टिकाऊ होता है, सुविधानुसार पौधघर के अन्दर सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था आवश्यक है, या कर ली जाती है| कभी-कभी इसके अन्दर नमी बढ़ाने हेतु मिस्ट सिंचाई की व्यवस्था भी कर दी जाती है| ग्रीन हाउस का उपयोग कलम द्वारा प्रवर्धन, नये आयात किये गये पौधों की स्थापना और परिस्थिति अनुकूलन, वानस्पतिक विधि से प्रवर्धित पौधों के अनुकूलन और कठोरीकरण के लिए किया जाता है|

कांचघर या ग्लास हाउस
बागवानी पौधशाला हेतु कांचघर के अन्दर तापमान और शुद्ध हवा के नियन्त्रण और निष्कासन के लिए पंखा तथा खिड़कियों का प्रबंधन रहता है| शुष्क वातावरण में पर्याप्त मात्रा में नमी बनाए रखने के लिए कोहरे का प्रबन्ध भी साथ में कर दिया जाता है, बड़े-बड़े कांच घरों में तापमान और नमी नियन्त्रण के लिए थर्मोस्टेट की व्यवस्था रहती है| कांचघर का उपयोग बीजों के अंकुरण, कलम द्वारा प्रवर्धन और नये पौधों के अनुकूलन के लिए किया जाता है|
निर्माण- बागवानी पौधशाला (नर्सरी) हेतु कांचघर सुविधानुसार विभिन्न आकार के बनाए जाते है, जिनकी बनावट बाहरी दीवार 2 से 2.5 मीटर उंचाई तक एल्युमिनियम की चादर या खम्भों की सहायता से बनायी जाती हैं, इन्हीं खम्भों के साथ तारयुक्त काँच के उचित आकार के टुकड़ों द्वारा पूरा कांचघर बना दिया जाता है|

पॉलीहाउस (प्लास्टिक घर)
बागवानी पौधशाला हेतु पॉलीहाउस विभिन्न आकार की संरचना के बनाए जाते है, जिसको 200 से 400 माइक्रान मोटाई वाली पराबैंगनी किरणों से अवरोधी सफेद रंग की पारदर्शी प्लास्टिक चादर से ढ़का जाता है| यह ग्रीन हाउस के सिद्धान्त पर कार्य करता है और इसमें बागवानी पौधशाला के आवश्यकतानुसार तापमान, नमी एवं अन्य वातावरण नियन्त्रण हेतु व्यवस्था की जाती है|
निर्माण- पॉलीहाउस का भी निर्माण जीआई पाईप, बांस या लकड़ी की सहायता से किया जा सकता है, इस प्रकार से तैयार पॉलीहाउस में पारदर्शिता इतनी होती है, कि लगभग 70 से 80 प्रतिशत सूर्य का प्रकाश छनकर पौधों को मिल जाता है|

मिस्ट हाउस (कुहासा घर)
खेती में कुहासा विधि बार-बार पानी छिड़काव करने का संशोधित रूप है, इसमें पत्तियों के पास कोहरे (कुहासे) के रूप में हल्के पानी का छिड़काव होता रहता है, इसके फलस्वरूप पत्तियों में वाष्पोत्सर्जन और श्वसन की गति धीमी हो जाती है, यानि की पौधों को छावं में रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती और दिन में पर्याप्त मात्रा में प्रकाश उपलब्ध होने के कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तेज हो जाती है|

नर्सरी का रेखांकन और प्रबंधन
फलदार व सजावटी पौधों की बागवानी पौधशाला (नर्सरी) स्थापित करने के लिये आवश्यक भूमि के चुनाव के उपरान्त उस भूमि में मातृ या पैतृक पौध निर्धारित स्थान पर लगाये जाने चाहिए| आमतौर पर जिस क्षेत्र में वह पौधशाला स्थित हो वहां आस-पास मांग के अनुसार उस प्रजाति या किस्मों के फलदार पौधों के मातृ या पैतृक पौधे लगाए जाने चाहिए| मातृ पौधों के प्रक्षेत्र का निर्धारण करने के लिए उपलब्ध भूमि का रेखांकन पहले ही तैयार कर लेना चाहिए, पौधशाला का रेखांकन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे-
  1. बागवानी पौधशाला के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक पौधे लगाए जाने चाहिए, जो सर्दियों में पश्चिमी से आने वाली ठण्डी हवाओं से पौधों का बचाव हो सकें|
  1. दक्षिण और पूर्व में ऐसे फलदार बीजू पौधे लगाएं जो तेज हवा को रोकने का कार्य करने के साथ बागवानी पौधशाला के लिए बीजू पौधों के बीजों की आवश्यकता की भी पूर्ति कर सकें|
  1. पौधशाला के एक खंड में विभिन्न प्रकार के फलदार पौधों के क्षेत्र विशेष के लिए संस्तुत किस्मों के मातृ पौधों को लगाने का सुनिश्चित करें, यदि संभव हो तो मातृ खंड में कीट अवरोधक जाली लगाना भी सुनिश्चित करें|
  1. दूसरे खंड (भाग) मे बीजू पौधे व कलमों की क्यारियों के लिए जगह निर्धारत करें, साथ साथ में कलम किए पौधों के लिए स्थान, स्टूलिंग आदि के लिए मातृ पौधों वाला स्थान भी पहले से निर्धारित करके उन पौधों की रोपाई करें, मुख्य रास्ते के दोनों तरफ आम, सेब, आंवला, बेलपत्र, फालसा, पपीता, गुंदा, अनार, अंजीर आदि फलदार पेड भी लगा सकते हैं|
  1. बागवानी पौधशाला हेतु गमलाघर, ग्रीन हाऊस, पॉलीहाउस, विक्रय पटल और अन्य आवश्यक संरचना मुख्य सड़क के साथ बीच के स्थान पर बनाए जाने चाहिए|
  1. पत्तियों व अन्य बेकार घास-फूस की कम्पोस्ट बनाने के लिए नर्सरी के उत्तर-पश्चिम कोने में खाद के गड्डे बनाने चाहिए, वर्तमान में केंचुआ पालन से उत्तम किस्म की खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाई जा सकती है, जिससे सभी प्रकार के सड़ने वाले अवशेष को खाद में बदला जा सकता है|
  1. बागवानी पौधशाला में सिंचाई की उचित व्यवस्था हेतु जितना सम्भव हो भूमिगत पानी की पाइप लगाएं, और पौधों की कतारों में से पानी का स्थाई थाला न बनाएं|
  1. आधुनिक बागवानी पौधशाला में प्रो-ट्रे, प्लास्टिक क्रेट्स, मृदा रहित मिश्रण, मॉस घास, नैट हाऊस, पॉली हाऊस, कुहासा आदि को उचित स्थान अवश्य देना चाहिए|

आधुनिक तकनीकी बागवानी पौधशाला की देखभाल
  1. बागवानी पौधशाला (नर्सरी) में जो मातृ वृक्ष या अन्य पौधे लगे हो उन सभी को उचित खुराक, सड़ी गोबर की खाद और उर्वरक का समय-समय पर प्रयोग कर स्वस्थ बनायें रखें|
  1. भूमि में सूत्रकृमि और किसी कवक का प्रकोप हो तो धूमन (फ्युमिगेशन) द्वारा उनका नियन्त्रण करना चाहिए|
  1. मूलवृत्त के लिए, जो पौधे पौधशाला में उगाये गये हों, उनका स्थान बरसात में कम से कम दो बार परिवर्तित कर देना चाहिए| इस प्रक्रिया से मूसला जड़ों की वृद्धि रूक जाती है और अवस्थानिक जड़े अधिक निकलती है| परिणाम स्वरूप रोपण से अधिक सफलता की सम्भावना होती है|
  1. बागवानी पौधशाला में समयानुसार खरपतवार की रोकथाम करते रहना चाहिए|
  1. सभी क्यारियों में मूलवृंत तथा प्रवर्धित पौधों के बारे में नाम पत्र लगा होना चाहिए, जिससे उनकी किस्म और आयु की जानकारी प्राप्त हो सके|
  1. बागवानी पौधशाला में प्रवर्धन के बाद जब सभी पौधे पूर्ण रूप से चल जाए, तो इन्हें निकाल कर विक्रय करना चाहिए|
  1. जिन फल वृक्षों में स्वयंबध्यता होती है, उनके साथ उचित अनुपात में परागणकर्ता किस्म के पौधे विस्तृत जानकारी के साथ ग्राहक को उपलब्ध कराये जाने चाहिए|
  1. बागवानी पौधशाला में विभिन्न क्रियाओं के परिपालन हेतु चार्ट बना देना चाहिए और उसके अनुसार कार्य करते रहना चाहिए.
नाम

10th,2,12th,3,12th result,1,अक्षरब्रह्मयोग ~ अध्याय आठ ~ AksharBrahmaYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 8,1,अम्बे जी की आरती,1,अर्जुनविषादयोग ~ भगवत गीता ~ अध्याय एक - Bhagwat Geeta Chapter 1,1,अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्,1,आज के इतिहास (History Today),366,आत्मसंयमयोग ~ अध्याय छः ~ AtmSanyamYog Bhagwat Geeta Chapter 6,1,आरती कुंज बिहारी की,1,आरती चालीसा,50,ईसाई धर्म,1,ऑनलाइन इनकम,14,करियर,10,कर्मयोग~ भगवत गीता ~ अध्याय तीन - Karmyog Bhagwat Geeta Chapter 3,1,कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच ~ KarmSanyasYog Bhagwat,1,कहानियाँ,5,कानून,2,कीर्ति खरबंदा,1,क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग ~ अध्याय तेरह ~ Ksetra-Ksetrajnay Vibhag Yog ~ Bhagwat Geeta Chapter 13,1,खान-पान,231,गणेश पञ्चरत्नं,1,गीता,19,गुणत्रयविभागयोग ~ अध्याय चौदह ~ GunTrayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 14,1,गुरुनानक गुरुजी के द्वारा हमे दी गयी शिक्षाएं,1,चुनाव,3,जगदीश जी की आरती,1,जीवन बीमा प्रश्नोत्तरी,2,जीवनी,2,ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय चार ~ GyanKarmSanyasYog Bhagwat Geeta Chapter 4,1,ज्ञानविज्ञानयोग ~ अध्याय सात ~ GnyanVignyanYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 7,1,झांवी कॉमिक्स,12,टेक ज्ञान,1,त्योहार,1,देश,2,देश-विदेश,3,दैवासुरसम्पद्विभागयोग ~ अध्याय सोलह ~ DaiwaSurSampdwiBhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 16,1,धर्म,2,नौकरी,15,न्यूज़,2,पढ़ाई,4,पुरुषो के लिए,1,पुरुषोत्तमयोग ~ अध्याय पंद्रह ~ PurushottamYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 15,1,पूर्णिमा व्रत कथा,1,पौधे रोपण-खेतीबाड़ी,19,प्रश्नोत्तरी,12,फैशन,52,बच्चो के लिए,2,बच्चों के लिए,28,बागवानी,19,बिज़नस,1,बिजनेस फाइनेंस,21,बुद्ध धर्म,1,बैंक,1,बॉलीवुड,263,ब्लॉग,226,भक्तियोग ~ अध्याय बारह ~ BhaktiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 12,1,भगवत गीता,19,भगवत भगवान की आरती,1,भजन कीर्तन,44,भारतीय लोकतंत्र,2,भैरव जी की आरती,1,मज़ाक,1,मुस्लिम धर्म,3,मोक्षसंन्यासयोग ~ अध्याय अट्ठारह ~ MokshSanyasYog~ Bhagwat Geeta Chapter 18,1,योग,1,राजविद्याराजगुह्ययोग ~ अध्याय नौ ~ RajVidyaRajGuhyaYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 9,1,रामायण,1,राशि उपाय,57,राशिफल 2017,1,लव लाइफ,3,लव स्टोरी,1,लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम्,1,लेखांकन,1,वास्तु शास्र,6,विडियो,1,विभूतियोग ~ अध्याय दस ~ VibhutiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 10,1,विश्वरूपदर्शनयोग ~ अध्याय ग्यारह ~ Vishwa Roop Darshan Yog ~ Bhagwat Geeta Chapter 11,1,वीडियो,4,वैज्ञानिक,1,व्यंजन रेसिपी,130,व्रत कथा,8,व्रत विधि व आरती,2,शाकम्भरी माता चालीसा,1,शिरडी साई बाबा चालीसा,1,शिरडी साई बाबा धूप आरती,1,शिव चालीसा,1,शिव जी की आरती,1,शेयर बाजार,1,श्रद्धात्रयविभागयोग ~ अध्याय सत्रह ~ Shraddha Tray Vibhag Yog ~ Bhagwat Geeta Chapter 17,1,श्री अन्नपूर्णा चालीसा,1,श्री अन्नपूर्णा माता की आरती,1,श्री काली माता की आरती,1,श्री काली माता चालीसा,1,श्री कृष्ण चालीसा,1,श्री गंगा चालीसा,1,श्री गंगा माता आरती,1,श्री गणेश चालीसा,1,श्री गणेश जी की आरती,1,श्री गायत्री चालीसा,1,श्री गायत्री माता की आरती,1,श्री चिंतपूर्णी देवी की आरती,1,श्री जीण चालीसा,1,श्री जीण माता की आरती,1,श्री दुर्गा चालीसा,1,श्री नवग्रह आरती,1,श्री नवग्रह चालीसा,1,श्री परशुराम चालीसा,1,श्री भैरव चालीसा,1,श्री मंगलवार व्रत कथा व्रत विधि व आरती,1,श्री रघुवर जी की आरती,1,श्री रविवार व्रत कथा,1,श्री राधाकृष्ण की आरती,1,श्री राम चालीसा,1,श्री रामचन्द्र जी की आरती,1,श्री लक्ष्मी माता की आरती,1,श्री लक्ष्मी माता चालीसा,1,श्री ललिता माता की आरती,1,श्री ललिता माता चालीसा,1,श्री विश्वकर्मा जी की आरती,1,श्री विश्वकर्मा जी चालीसा,1,श्री विष्णुशतनामस्तोत्रम्,1,श्री वीरभद्र चालीसा,1,श्री शनि देव चालीसा,1,श्री शनि देव जी की आरती,1,श्री सत्य नारायण व्रत कथा,1,श्री सन्तोषी माता की आरती,1,श्री सन्तोषी माता चालीसा,1,श्री सरस्वती चालीसा,1,श्री सरस्वती माता की आरती,1,श्री सोमवार व्रत कथा,1,श्री सोलह सोमवार व्रत कथा,1,श्रीराम रक्षा स्तोत्रम्,1,श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्‌,1,संकटनाशक गणेश स्तोत्र : प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम्,1,संस्कृत,1,सन्तान सप्तमी व्रत कथा,1,समाचार,36,समाचार चैनल LIVE,6,सांख्ययोग ~ भगवत गीता ~ द्वितीय दो - Bhagwat Geeta Chapter 2,1,साई बाबा की आरती,1,सामान्य ज्ञान,3,सालासर बालाजी की आरती,1,सिख धर्म,4,सोम प्रदोष व्रत कथा,1,स्तोत्र,7,हनुमान जी की आरती व चालीसा,1,हिन्दी सीखें,32,हिन्दू धर्म,70,हेल्थकेयर,10,हैल्थकेयर,363,Adjustment (समायोजन),21,Advance Tech (हिंदी में),5,age in banking,1,Armpits,1,Bank Reconciliation Statement (बैंक समाधान विवरण),11,banking for general class,1,Bhajan Kirtan,44,Bills of Exchange (विनिमय विपत्र),11,Business Studies (व्यवसाय),14,career,1,career development,1,Cash Book (रोकड़ बही),8,Company (कम्पनी),2,Depreciation (ह्रास),8,Diana Penty,1,Diana Penty bollywood,1,Diana Penty Desi Beuty,1,Diana Penty- desi daru,1,education,1,education in india,1,education standards,1,Entrepreneurship (उद्यमिता),26,Entrepreneurship (उद्यमिता),4,exam,1,exams.in.net,1,fail,1,Final Account (अंतिम लेखा लेखांकन),28,Finance (वित्त),2,general,1,Government Exam Practice Papers,2,GOVERNMENT EXAM PRACTICE PAPERS ANSWERS,1,govt jobs,1,indian god bhajans,44,Journal (रोजनामचा),16,Ketika Sharma Bollywood,1,Ledger (बही-खाता),11,Links,11,Management (प्रबन्ध),15,Offers,1,padai,1,poor education,1,Practice Test of IRDA (ic33 & ic 38),2,Quran,1,Rakul preet,9,Rakul Preet Beautiful Pics,1,Rectification of Errors (अशुद्धियों के सुधार),4,Rhea Chakarborty,1,sexy rakul preet,1,student life,1,Top Bhajans of all time,44,Trial Balance (संतुलन परीक्षण),9,
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बागवानी पौधशाला ( Horticulture Nursery)
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