सनस्क्रीन Sunscreen , सन ब्लॉक Sunblock या सनटेन Suntan आदि लोशन त्वचा को सनबर्न , टैनिंग तथा अन्य नुकसान से बचाने के लिए होते है। आइ...
सनस्क्रीन Sunscreen , सन ब्लॉक Sunblock या सनटेन Suntan आदि लोशन त्वचा को सनबर्न , टैनिंग तथा अन्य नुकसान से बचाने के लिए होते है। आइये जानें इनका उपयोग सही तरीके से कैसे करें।
धूप जीवन की आवश्यकता है लेकिन इसमें कुछ हानिकारक किरणें भी होती हैं जो बहुत नुकसान देह हो सकती हैं। इनसे बचने में सनस्क्रीन मदद कर सकते हैं।
बाजार में बहुत से सनस्क्रीन आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन सनस्क्रीन कब लगाना चाहिए , कितना लगाना चाहिए , सनस्क्रीन दुबारा कितनी देर बाद लगाना चाहिए तथा कितने SPF ( Sun Protection Factor ) वाला सनस्क्रीन लगाना चाहिए इस बारे में बड़ा कन्फ्यूजन रहता है। इनकी जानकारी होने से अधिक लाभ मिल सकता है।
सनबर्न Sunburn होना एक आम समस्या है। हमारे देश में धूप और गर्मी अधिक होती है जिसके कारण स्किन टैनिंग , सनबर्न बहुत जल्दी हो जाता है। स्किन को सनबर्न से बचाना चाहिये।
सनबर्न होने का अर्थ है कि सूरज की तेज धूप ने आपकी त्वचा को झुलसा दिया है। इतनी धूप स्किन पर लगने से धूप में मौजूद अल्ट्रावॉइलेट किरणों के कारण स्किन को सनबर्न से भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। यहाँ तक कि स्किन के कैंसर जैसी समस्या भी हो सकती है।
Sunscreen धूप में मौजूद अल्ट्रा वॉइलेट किरणों UV-rays से बचने के लिए लगाया जाता है क्योंकि इनके कारण ही हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचता है। इन किरणों से स्किन पर सनबर्न , झुर्रियाँ , धब्बे पड़ना , खुरदरापन आदि समस्या उत्पन्न हो सकती है। कुछ लोगों को इसके कारण त्वचा में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
अल्ट्रा वॉइलेट किरणों का प्रभाव किसी के शरीर पर कितना होता है यह किरणों की तीव्रता , कितने समय तक त्वचा पर ये गिरी तथा त्वचा का कपड़े या सनस्क्रीन से ढ़के होने पर निर्भर करता है।
इसके अलावा धूप में UV किरणों की तीव्रता जगह , मौसम और समय के हिसाब से बदल जाती है इसलिए इसे ध्यान में रखकर सनस्क्रीन लगाना अधिक फायदेमंद होता है।
अल्ट्रा वॉइलेट किरणों से होने वाले नुकसान , अल्ट्रा वॉइलेट किरणों की तीव्रता कब ज्यादा होती है भारत में कहाँ अल्ट्रा वॉइलेट किरणों से नुकसान की संभावना अधिक होती है तथा UV इंडेक्स क्या होता है
सनस्क्रीन लगाने के फायदे – Sunscreen benefits
सनस्क्रीन धूप से त्वचा को जलने और काली पड़ने से बचाने का काम करता है। इसके साथ ही उचित रूप से सनस्क्रीन के उपयोग से त्वचा पर झुर्रिया पड़ना , ढ़ीली होने और तिल मस्से आदि होने से भी बचाया जा सकता है। यहाँ तक की सूरज की UV किरणों के कारण त्वचा पर होने कैंसर से भी बचाव हो सकता है।
Sunscreen में मॉइस्चराइज़र तथा अन्य चीजों के अलावा टाइटेनियम डाई ऑक्साइड व ज़िंक ऑक्साइड या क्रोमोफ़ोर्स जैसे तत्व होते हैं जो सूरज की किरणों को अवशोषित कर लेते हैं , परावर्तित कर देते हैं या फैला देते है। इससे त्वचा नुकसान से बच जाती है।
सनस्क्रीन में SPF क्या होता है – What is SPF
sunscreen me SPF kya hota he
सनस्क्रीन लोशन में SPF का अर्थ है – Sun protection Factor । यह अल्ट्रा वॉइलेट किरणों को त्वचा तक पहुँचने में रोकने की क्षमता को दर्शाता है।
उदाहरण के तौर पर SPF 50 का अर्थ है कि इसकी उचित मात्रा लगाने से 1 / 50 वां हिस्सा ही त्वचा तक पहुँचता है। इसी प्रकार SPF 30 का लोशन लगाने पर 1 /30 वां हिस्सा ही त्वचा तक पहुंचेगा।
जितना SPF ज्यादा होगा वह उतना ही अधिक UV किरणों को रोककर त्वचा की रक्षा करेगा। लेकिन जितना SPF अधिक होता है , उतनी ही कीमत भी ज्यादा होती है। भारत में SPF15 , SPF20 , SPF25 , SPF 30 , SPF40 ,SPF50 वाले लोशन उपलब्ध हैं।
लक्मे , गार्नियर , लॉरिअल , VLCC , लोटस , अयूर , बायोटिक आदि सभी कंपनी के सनस्क्रीन मिल जाते हैं , जिन्हे आवश्यकता और पसंद के अनुसार उपयोग में लाया जा सकता है ।
अधिक SPF का अर्थ यह नहीं है कि यह कम SPF वाले सनस्क्रीन से अधिक समय तक काम करेगा , उसे भी बार बार लगाना पड़ता है सामान्यतया हर 2 घंटे के अंतराल से। सनस्क्रीन की उचित मात्रा निर्देश के अनुसार लगाने से ही पूरा बचाव होता है अन्यथा नहीं।
लम्बे समय तक सनस्क्रीन लगाने से विटामिन डी की कमी होने की संभावना के सवाल उठते रहे हैं। लेकिन सप्ताह में दो तीन बार कुछ देर सुबह की धूप लेने से विटामिन डी मिल सकता है। विटामिन डी की कमी के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
सनबर्न कब हो सकता है
Sunburn kab hota he
सनबर्न धूप में जाने पर शरीर के खुले हिस्से जैसे चेहरा ,बाहें व पाँव आदि की त्वचा पर धूप के असर से रंग गहरा हो जाता है। सनबर्न गर्मी , सर्दी व बरसात में किसी भी मौसम में हो सकता है यहाँ तक की बरसात के बादलों में भी सनबर्न हो सकता हैं।
सनबर्न से त्वचा डिस्कलरेशन के अलावा और भी कई प्रकार की समस्याए हो जाती है जैसे पिगमेंटेशन ,सेंसिविटी बढ़ने से त्वचा अति संवेदनशील हो जाती है ,त्वचा ड्राई हो सकती और एलर्जी भी हो सकती हैं।
सनबर्न से किसको कितना नुकसान होता है यह त्वचा की प्रकृति पर निर्भर करता हैं।
सनबर्न से कैसे बचें
Skin ko sunburn se kaise bachaye
सनबर्न से बचने के लिए कोशिश करे कि दोपहर के समय जब सूरज की रोशनी सबसे ज्यादा तेज होती हैं तब बाहर न जाये। यदि आपको आवश्यक काम से जाना है तो चेहरे पर सनस्क्रीन Sunscreen लगाकर या चेहरे को स्कार्फ आदि से ढक कर जायें ।
सनस्क्रीन कब लगायें
Sunscreen kab lagaye
सनस्क्रीन सुबह व दोपहर में एक बार अवश्य लगाए।
घर से बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन लगा लेना चाहिए।
उचित मात्रा में और सही SPF वाला सनस्क्रीन लगाने के बाद दो घंटे तक आपकी त्वचा सुरक्षित रहती है उसके बाद आपको वापस सनस्क्रीन लगाना होता है।
सनस्क्रीन कितना लगायें
Sunscreen kitna lagana chahiye
सनस्क्रीन की इतनी मात्रा होनी चाहिए की स्किन पर एक परत Layer लग जाए समझने के लिए आप इस तरह सोचे की आपको स्किन को किसी शीट से ढकना है इसका मतलब लगभग 3 मिली एक बार में फेस पर लग जायेगा। इसे लगाने में कंजूसी ना करें अन्यथा लाभ नहीं होगा।
सनस्क्रीन लगाने का तरीका
Sunscreen lagane ka tarika
पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन लेकर चेहरे पर फोरहेड , नाक , कान , गाल , चिक बोन , गले व गले के पीछे गर्दन पर छोटे छोटे बिंदु लगाए हल्के हाथ से एकसार फैला लें। अक्सर लोग पीछे गर्दन पर सनस्क्रीन लगाना जरुरी नहीं समझते लेकिन इससे गर्दन काली हो जाती है।
सनस्क्रीन लगाने के बाद चेहरा सफेद और चिपचिपा लग सकता है। यह पांच से दस मिनिट में सेट हो जाता है और चेहरा सही लगने लगता है, यह सनस्क्रीन सेट होने की प्रक्रिया होती है।
सनबर्न कब ज्यादा होता है
Sunburn jyada kyo hota he
— सनबर्न दोपहर में सबसे अधिक होता है।
— कुछ विशेष प्रकार के बादल से सनबर्न अधिक हो सकता है।
— कभी कभी किसी दवा के कारण स्किन अधिक सेंसिटिव हो जाती है और सनबर्न जल्दी और अधिक होता है। ऐसा हो तो डाक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए।
— फेशियल ,ब्लीचिंग , स्किन पॉलिशिंग या स्किन पीलिंग के बाद त्वचा बहुत अधिक सेंसिटिव हो जाती है जो धूप के सम्पर्क में आने पर तुरंत बर्न हो सकती है और डैमेज हो सकती है अतः ऐसे समय सनस्क्रीन जरूर लगा लेना चाहिए।