चाय Tea का नाम सुनते ही जैसे फुर्ती सी आ जाती है। सुबह उठते ही सबसे पहले जिस चीज की जरुरत सबसे ज्यादा होती है वह चाय ही है। यह दैनिक ज...

चाय Tea का नाम सुनते ही जैसे फुर्ती सी आ जाती है। सुबह उठते ही सबसे पहले जिस चीज की जरुरत सबसे ज्यादा होती है वह चाय ही है। यह दैनिक जीवन के तनाव को भुला देती है और तरोताजा कर देती है।
दुनिया भर में टी ब्रेक का चलन है। मेहमान का स्वागत करना हो , कोई मीटिंग आदि हो या किसी से दोस्ती करनी हो तो chay सबसे आसान जरिया होती है।
दुनिया में पानी के बाद सबसे ज्यादा पी जाने वाली चीज चाय ही है। चाय की पत्ती केमेलिया सिनेन्सिस Camellia sinensis नामक पौधे की पत्तियां होती है। इन पौधों से हरी पत्तियाँ तोड़ी जाती है। फिर इन्हें प्रोसेस किया जाता है।
प्रोसेसिंग की अलग प्रक्रिया के अनुसार व्हाइट टी , यलो टी , चाइनीज ग्रीन टी , जैपेनीज ग्रीन टी , वूलोंग टी तथा ब्लैक टी बनाई जाती है। प्रोससिंग के कारण ये पत्तियाँ जल्दी ख़राब नहीं होती। प्रोसेसिंग के कारण ही चाय की पत्ती काली हो जाती हैं जो ब्लैक टी होती है और जिसे हम उबाल कर पीते है।
ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट अधिक होते है इसलिए यह फायदेमंद होती है। चाई की पत्ती को प्रोसेस करने के तरीके के अनुसार उसमे एंटीऑक्सीडेंट कम या ज्यादा हो सकते है। ग्रीन टी में अपेक्षाकृत अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं ।
chai कई प्रकार से बनाकर पी जाती है। सबसे अधिक प्रचलन दूध वाली चाई का है। इसके अलावा ब्लैक टी यानि काली चाई जिसमे दूध नहीं डाला जाता , मसाले वाली Masala chay जो सर्दी के मौसम में अधिक पी जाती है।
इसके अलावा टी बैग्स Tea Bags से बनने वाली चाई और आजकल नए प्रकार की चाई पीने का फैशन बढ़ता जा रहा है जैसे ग्रीन टी Green Tea , आइस्ड टी Iced Tea और लेमन टी Lemon Tea आदि ।
इन सभी प्रकार की चाय को बनाने के तरीके में थोड़ा बहुत अंतर होता है लेकिन मकसद चाई की पत्ती से मिलने वाली ताजगी का ही होता है। आइये देखें chay कितने प्रकार की हो सकती हैं और इन्हें कैसे बनाया जाता है।
दूध वाली चाय – Tea with milk
दूध वाली चाय कई प्रकार से बनाई जाती है।
दूध पानी के साथ उबाल कर
एक बर्तन में आधा कप दूध और आधा कप पानी मिलाकर गैस पर उबलने के लिए रखा जाता है। इसमें एक चम्मच चाय पत्ती और एक चम्मच चीनी डाली जाती है। जब यह उबलने लगती है तो इसे हिलाया जाता है। चार पाँच उबाल आने के बाद इसे छलनी की मदद से कप में छान लिया जाता है।
यदि कड़क chay पसंद हो तो चाय पत्ती की मात्रा बढ़ा दी जाती है और chay को ज्यादा देर तक उबाला जाता है। चीनी भी अपनी पसंद के अनुसार काम या ज्यादा डाल सकते हैं। वैसे एक कप chay में एक चम्मच चीनी से चाय ज्यादा स्वादिष्ट बनती है। अधिक चीनी डालने से Tea Leaf का स्वाद और सुगंध दब जाते हैं।
अदरक वाली चाय – Ginger Tea
ऊपर बताये अनुसार बर्तन में दूध , पानी , Tea Leaf और चीनी के साथ एक छोटा सा टुकड़ा अदरक का भी थोड़ा कूट कर मिला दिया जाता है और उबलने के बाद Chai को छान लेते है। इससे चाय में अदरक का स्वाद भी आता है और अदरक से होने वाले लाभ भी मिल जाते है।
इलायची वाली चाय – Cadamom Tea
ऊपर बताये गये तरीके में अदरक की जगह एक छोटी हरी इलायची छिलके सहित कूट कर मिला दी जाती है। इससे चाय में इलायची की भीनी भीनी खुशबू और एक अलग प्रकार का स्वाद मिलता है। तथा इलायची से होने वाले फायदे भी मिलते है।
मसाले वाली चाय – Masala Tea
कुछ लोग Chai में डालने के लिए मसाला तैयार करके रखते है। इस मसाले में काली मिर्च , सोंठ , इलायची , दालचीनी , लौंग आदि मसालों को मिलाकर पीसकर बनाया जाता है। जब भी चाय बनाई जाती है तब तैयार मसाले में से एक चुटकी मसाला एक कप में डाला जाता है।
इससे मसाले में मौजूद सभी फ्लेवर और उनके गुण Chai में मिल जाते है। यह बहुत स्वादिष्ट Chai होती है। एक बार Masala Tea पीने के बाद यही चाय पसंद आने लगती है।
पुदिने वाली चाय – Pudina Tea
इस प्रकार की चाय आमतौर पर घर में कम ही बनती है , लेकिन नाथद्वारा जहाँ श्रीनाथ जी का प्राचीन मंदिर है। वहाँ सुबह थड़ी पर मिलने वाली Chai पुदिना और अदरक मिलाकर बनाई जाती है।
इस Chai को बनाते समय दूध , चाय पत्ती , चीनी , अदरक और पुदिने की पत्ती मिलाकर चाय को उबालते है। फिर छानकर पी जाती है। इस चाय का एक अनोखा ही स्वाद होता है मन में बस जाता है और हमेशा नाथद्वारा की याद दिलाता रहता है।
केतली वाली चाय – Tea Kettle
यह Chai बनाने के लिए पानी में चाय पत्ती डाल कर उबाल लिया जाता है और इस पानी को छान कर एक केतली में भर लिया जाता है। यदि केतली में चलनी लगी हो तो चलनी में चाय पत्ती डाली जाती है और ऊपर से गर्म पानी भरा जाता है। थोड़ी देर में Chai पानी में घुलकर तैयार हो जाती है।
एक दूसरी केतली में दूध भर लिया जाता है। साथ में शक्कर रख ली जाती है। जब भी चाई बनानी हो तो एक कप में चाई का पानी लेकर उसमे दूध मिलाया जाता है। इसके बाद उसमे पसंद के हिसाब से चीनी मिलाकर पी जाती है। इसे इंग्लिश चाय भी कहते हैं।
टी बैग्स वाली चाय – Tea Bags
यह चाय बनाने का एक आसान तरीका होने के कारण बहुत लोकप्रिय हो गया है। इसमें चाय पत्ती एक छोटे से चलनीदार बैग में भरी होती है। इसमें एक धागा लगा होता है जिसकी मदद से टी बैग को कप में डुबोया जाता है। चाई बनाने के लिए एक कप में तेज गर्म दूध और पानी का मिश्रण लिया जाता है।
टी बेग को इसमें डुबोकर ऊपर नीचे करके हिलाते हैं जिससे बैग में रखी चाई का स्वाद और सुगंध मिश्रण में घुल जाता है। जितना ज्यादा बैग को हिलाते हैं उतनी ही ज्यादा कड़क चाई बन जाती है। इसके बाद इसमें स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पीते है।
ब्लैक टी – Black Tea
कुछ लोग चाई में दूध डालना पसंद नहीं करते। इस प्रकार की चाई बनाने के लिए पानी में चाई पत्ती डाल कर उबाल लेते है। इस पानी को कप में छानकर इसमें चीनी मिलाकर या बिना चीनी मिलाये पीते हैं।
ग्रीन टी – Green Tea
इन दिनों ग्रीन टी का बहुत चलन हो गया है। यह इस चाय का प्रोसेसिंग का तरीका काली चाय पत्ती से अलग होता है। यह शरीर के लिए फायदेमंद होती है। इसे बनाने के लिए गर्म पानी में 2 -3 मिनट हरी चाई की पत्ती डाल कर रखी जाती है। फिर इसे छान लेते हैं।
इसमें स्वाद के लिए नींबू का रस , पुदीना या शहद आदि मिलाकर पीते हैं। ग्रीन टी के पूरे फायदे पाने के लिए इसमें चीनी नहीं मिलाई जाती है।
लेमन टी – Lemon Tea
लेमन टी भी बहुत फैशन में है। इसके लिए गर्म पानी में दो तीन मिनट चाई पत्ती को डालकर रखा जाता है। इसे छानकर इसमें नींबू का रस मिलाया जाता है। फिर इसमें चीनी या शहद , पुदिना , सोंठ का पाउडर , काला नमक आदि इनमे से जो भी पसंद हो मिलाकर पिया जाता है।
यह चाय लाभदायक होती है। इससे नींबू से होने वाले लाभ लिए जा सकते हैं।
आइस्ड टी – Iced Tea
कुछ लोग आइस्ड टी यानि फ्रिज में ठंडी की हुई चाई पीते है। इसे बनाने के लिए गर्म पानी में चाई पत्ती को रखा जाता है। फिर इसे छान लिया जाता है। ठंडा होने पर इसमें नींबू का रस , चीनी आदि मिलाकर फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है।
चिल्ड होने के बाद इसे पीते हैं। इसमें आइस क्यूब डाले जा सकते हैं। कुछ फल के टुकड़े जैसे पाइनेपल या कीवी आदि डालकर भी रखा जाता है जिससे स्वाद बढ़ जाता है।
हर्बल चाय – Herbal Tea
हर्बल chai बनाने के लिए सिर्फ हर्ब्स यानि जड़ी बूटी का उपयोग किया जाता है। इसका नाम टी भले ही हो लेकिन असल में यह chai नहीं होती है। क्योंकि इसमें कैमेलिया सिनेन्सिस पौधे की पत्तियां उपयोग में नहीं आती है। इस वजह से इसमें कैफीन भी नहीं होता है।