कब , क्या , किसके साथ नहीं खाना चाहिए यह आयुर्वेद में स्पष्ट शब्दों में बताया गया है। समय , वातावरण और उम्र के अनुसार आहार में परिवर्त...
कब , क्या , किसके साथ नहीं खाना चाहिए यह आयुर्वेद में स्पष्ट शब्दों में बताया गया है। समय , वातावरण और उम्र के अनुसार आहार में परिवर्तन जरुरी होता है। दो चीजें अलग अलग खाने से फायदेमन्द हो सकती है लेकिन साथ में खाने से ये ही चीजें नुकसानदेह भी हो सकती हैं। इन्हे विरुद्ध आहार कहते हैं।
किसी एक ही वस्तु को सुबह खाएं तो अलग प्रभाव और शाम को खाएं तो अलग प्रभाव हो सकता है। इसी तरह वही वस्तु बीस साल की उम्र में और पचास वर्ष की उम्र में अलग प्रभाव डालेगी।
चालीस वर्ष की उम्र तक कफ प्रकृति ज्यादा होती है , इसलिए सर्दी जुकाम ज्यादा होते है ,चालीस से सत्तर के बीच पित्त प्रकृति और सत्तर के बाद वायु विकार ज्यादा होने की संभावना होती है। इसके अनुसार भोजन में परिवर्तन नही करने पर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
किसी भी भोजन को पचाने के लिए शरीर में कई प्रकार के पाचक रस का स्राव होता है। जैसा भोजन करते है उसी के अनुसार पाचक रस का स्राव होकर खाना पचता है।
यदि दो प्रकार के ऐसे आहार लिए जायेंगे जिन्हें पचाने के लिए अलग प्रकार के पाचक रस की आवश्यकता हो तो निश्चित रूप से शरीर पर अनावश्यक भार पड़ेगा। जिसका परिणाम किसी बीमारी के रूप में ही सामने आएगा।
इसी प्रकार सुबह पाचन शक्ति अच्छी होती है और रात को बहुत कमजोर होती है अतः रात को गरिष्ठ भोजन करने पर उसका पाचन नहीं हो पाने के कारण बीमार होने की पूरी संभावना होती है।
समय , शारीरिक अवस्था या मौसम के अनुसार तथा उचित मात्रा में भोजन नहीं करने से शरीर बीमार हो सकता है। इस प्रकार लिया गया आहार विरुद्ध आहार कहलाता है। गलत तरीके से पकाया गया खाना तथा गलत मेल वाला खाना भी विरुद्ध आहार होता है।
इस प्रकार विरुद्ध आहार लेने से शरीर में कई प्रकार की समस्या या बीमारी हो सकती है । विरुद्ध आहार लेने से नपुंसकता , आँखों की कमजोरी , दिमाग की कमजोरी , बेहोशी , पेटदर्द , गर्दन की ऐंठन , खून की कमी , अपच , त्वचा रोग , जलोदर ,आँतों के रोग , सूजन , एसिडिटी , बुखार , जुकाम , एलर्जी आदि हो सकते है।
अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के वैज्ञानिकों के अनुसार भी प्रोटीन को स्टार्च या कार्बोहाइड्रेट के साथ नहीं खाना चाहिए। शक्कर और खट्टे फल साथ में खाने से पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता।
इसी तरह फैट पाचक रसों के स्राव में रूकावट बन सकती है। इसलिए प्रोटीन के साथ इसका अधिक मात्रा में उपयोग नहीं करना चाहिए। विपरीत आहार से ना सिर्फ पाचन तंत्र पर असर पड़ता है बल्कि शरीर की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली को यह प्रभावित कर सकता है। ज्यादा समय तक विरुद्ध आहार लेने से घातक परिणाम सामने आने लगते है।
हमारा पुराना खान पान और आयुर्वेद इस सम्बन्ध में बहुत स्पष्ट है। लेकिन आजकल इसकी जानकारी का बहुत अभाव है। बड़े बुजुर्ग अक्सर इस प्रकार की सलाह देते है लेकिन उसे नजर अंदाज कर दिया जाता है। इससे परेशानी बढ़ती है। दूध , दही का उपयोग सभी करते है। लेकिन इनके साथ क्या खाना चाहिए और क्या नहीं यह सोचे बिना इनका उपयोग होता है। इससे बीमारियां पैदा होती है।
किसके साथ क्या नहीं खाना चाहिए इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है –
दूध के साथ क्या नहीं खायें
दूध के साथ ये वस्तु नहीं लेनी चाहिए – दही , इमली , खरबूजा , बेल , तुरई , नारियल , कटहल , मूली , प्याज , तिल , खट्टे फल , नमक आदि।
कुछ लोग दूध और केला शेक बनाकर पीते है , जो गलत है। इससे बहुत कफ बढ़ता है , इससे अस्थमा परेशान सकता है। कुछ लोग फ्रूट कस्टर्ड बनाते जिसमे दूध के साथ संतरा , पाइनेपल , अंगूर , केला आदि फल डाले जाते है। इसे खाना अनुचित होता है।
दूध के साथ अंडा लेने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है अतः इन्हें साथ में नहीं लेना चाहिए । मछली और दूध साथ में नहीं लेने चाहिए।
दही के साथ क्या नहीं खायें
दही के साथ ये वस्तु नहीं लेनी चाहिए – खीर , दूध , पनीर , खरबूजा , केला , उड़द की दाल आदि।
दही बड़ा जिसे बड़े शौक से खाया जाता है। दरअसल विरुद्ध आहार है, क्योंकि बड़ा उड़द की दाल से ही बनाया जाता है जिसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए ।
रात के समय दही या छाछ का उपयोग नहीं करना चाहिए। दिन में खाने पर ये जितने अधिक लाभदायक होते है रात को खाने पर उतना ही अधिक की नुकसानदेह हो सकते है। रात में दही खाने से जोड़ों में दर्द हो सकता है।
खट्टी चीजें रात के समय खाने से अगले दिन जकड़न महसूस होती है। नॉन वेज खाने वालों को मांस के साथ दही नहीं लेना चाहिए। दही को गर्म नहीं करना चाहिए। दही बेसन की बिल्कुल पतली कढ़ी बनाते समय बहुत कम आंच पर हिलाते हुए गर्म कर सकते है।
इनके साथ ये नहीं खायें
ये शहद के साथ नहीं लेने चाहिए :
मूली , अंगूर , गर्म पानी , बराबर मात्रा में घी।
ये ठन्डे पानी के साथ नहीं लेने चाहिए :
मूंगफली , घी , तेल , तरबूज , अमरुद , खीरा , जामुन , ककड़ी , गर्म दूध।
ये खरबूजा के साथ नहीं लेने चाहिए :
लहसुन , मूली के पत्ते , दूध , दही।
ये तरबूज के साथ नहीं लेने चाहिए :
पुदीना , ठंडा पानी।
ये चाय के साथ नहीं लेने चाहिए :
ककड़ी , खीरा।
किसके साथ क्या खायें
ऐसा नहीं की सिर्फ विरुद्ध या विपरीत आहार ही हों। कुछ वस्तुएं ऐसी भी है जिन्हें साथ में से बहुत लाभदायक होती है जो इस प्रकार है –
खरबूजा के साथ शक्कर
इमली के साथ गुड़
आम के साथ दूध
अमरुद के साथ सौंफ
तरबूज के साथ गुड़
खजूर के साथ दूध
बथुआ के साथ दही
गाजर के साथ हरी मेथी
ज्यादा खा लिया हो तो क्या लें
कभी कभी कोई वस्तु बहुत पसंद होती है तो ज्यादा खाने में आ जाती है या कभी तेज भूख के कारण ज्यादा खाने में आ सकती है। बच्चों को विशेष कर ज्यादा खा लेने के कारण परेशानी होती है। ऐसे में समझ नहीं आता क्या करें जिससे पेट की तकलीफ कम हो सके।
ऐसी ही कुछ वस्तुएँ नीचे बताई गई है। जो ज्यादा खा लेने पर इसे खाने से आराम मिलता है जैसे केले ज्यादा खाने से परेशानी हो रही है तो इलायची खाये आराम मिलेगा। इसी प्रकार से इन्हें आजमा कर देखें जरूर लाभ होगा।
अधिक खाई गई वस्तु | उपचार |
---|---|
केले | इलायची |
आम | जामुन , दूध या सोंठ का चूर्ण |
जामुन | नमक , आम |
खरबूजा | चीनी घुला पानी |
तरबूज | एक लौंग या नमक |
सेब | गुलकंद या दालचीनी पाउडर |
अमरूद | सौंफ |
चावल | नारियल गिरी या अजवाइन |
उडद की दाल | गुड़ |
गन्ना | बेर |
मूंग या चने की दाल | सिरका |
मटर | अदरक या सौंठ |
बेसन | गर्म मसाला या मूली के पत्ते |
इमली | गुड़ |
बैगन | सरसों का तेल |
शकरकंद | गुड़ |
घी | काली मिर्च या गर्म पानी |
खीर | काली मिर्च |
लडडू | पीपल |
कचोरी ,समोसा ,रोटी | गर्म पानी |
मूंगफली | गुड़ |
आयुर्वेद में विरुद्ध आहार खाना इस प्रकार बताया गया है :
देश विरुद्ध ( स्थान के विरुद्ध )
सूखे स्थान पर तीखा और सूखा खाना या नमी वाली जगह चिकनाई वाला खाना।
काल विरुद्ध ( समय के विरुद्ध )
सर्दी के मौसम में ठंडी तासीर वाली और रूखी वस्तु और गर्मी के मौसम में गर्म तासीर वाली और कड़वी चीजें।
अग्नि विरुद्ध ( पाचन शक्ति के विरुद्ध )
पाचन शक्ति कमजोर हो तब गरिष्ठ खाना या पाचन शक्ति मजबूत हो तब हल्का खाना।
मात्रा विरुद्ध
शहद और घी बराबर मात्रा में लेना मात्रा विरुद्ध होता है।
सात्म्य विरुद्ध ( आदत के विरुद्ध )
ठंडा और मीठा खाने की आदत वाले का नमकीन और गर्म खाना या नमकीन की आदत वाले का मीठा खाना।
दोष विरुद्ध
कोई ऐसा भोजन या दवा जो दोष या प्रकृति को बढ़ा सकता हो ।
संस्कार विरुद्ध ( पकाने के तरीके के विरुद्ध )
गलत तरीके से पका कर बनाया गया खाना या दवा जैसे शहद को गर्म करना।
कोष्ठ विरुद्ध ( आँतों की परिस्थिति के विरुद्ध )
आँतें मजबूत होने पर हल्का या कम मात्रा में मल बनाने वाला आहार और कमजोर आँत वाले को गरिष्ठ या ज्यादा मल बनाने वाला खाना।
वीर्य विरुद्ध ( तासीर के विरुद्ध )
गर्म तासीर वस्तुएं ठंडी तासीर वाली वस्तु के साथ लेना।
अवस्था विरुद्ध ( हालात के विरुद्ध )
यौन सम्बन्ध बनाने के बाद या अधिक शारीरिक परिश्रम करने के बाद वात बढ़ाने वाला भोजन तथा उनींदापन या झपकी के समय कफ बढ़ाने वाला आहार।
क्रम विरुद्ध
मल मूत्र का त्याग करने से पहले भोजन करना , भूख ना हो तब भोजन करना और भूख मर जाने के बाद भोजन करना आदि।
परिहार विरुद्ध ( अनुकूल ना होने पर खाना )
हर व्यक्ति के लिए हर चीज अनुकूल नहीं होती । जैसे किसी को दूध नहीं पचता हो तो नहीं लें।
उपचार विरुद्ध ( इलाज के समय परहेज करने वाली वस्तु खाना )
जैसे एसिडिटी होने पर कचौरी समोसे खाना , पीलिया रोग में घी खाना , घी खाने के बाद ठंडी चीज़ खाना।
पाक विरुद्ध ( सही तरीके से नहीं पका हुआ खाना )
बहुत कम आंच पर आधा पका हुआ या कच्चा खाना या बहुत ज्यादा पका हुआ या जला हुआ खाना।
संयोग विरुद्ध ( बिना मेल का खाना )
दूध के साथ खट्टी चीजें या अम्लीय खाना।
ह्रदय विरुद्ध ( बिना पसंद का खाना )
जिस खाने को देखना पसंद ना हो , जिसकी गंध पसंद ना हो का जिसका स्वाद पसंद ना हो ऐसा खाना।
समपद विरुद्ध ( आवश्यकता से अधिक शुद्ध किया हुआ खाना )
जैसे रिफाइंड तेल या चीनी क्योंकि इनमे पोषक तत्व नष्ट हो जाते है।
विधि विरुद्ध
सार्वजनिक स्थान पर किया गया भोजन