तरबूज Tarbooj – Watermelon को देखते ही ठंडक का अहसास होने लगता है। यह दिखने में जितना लुभावना होता है ,खाने में भी उतना ही मजा देता है...
तरबूज Tarbooj – Watermelon को देखते ही ठंडक का अहसास होने लगता है। यह दिखने में जितना लुभावना होता है ,खाने में भी उतना ही मजा देता है। गर्मी के मौसम में शीतलता देकर प्यास बुझाने में इसका जवाब नहीं है।
तरबूज़ में मौजूद भरपूर पानी तथा इसकी मिठास शरीर को तरावट देकर स्फूर्ति से भर देते है। इसकी तासीर ठंडी होती है। यह मतीरा Matira , हदवाना Hadvana ,कलिंगर Kalingar आदि नाम से भी जाना जाता है।
तरबूज पूरी दुनिया मे बड़े चाव से खाया जाता है। इसकी एक खास बात यह है इसके सभी हिस्से खाने योग्य होते है यानि गूदे के अलावा इसके बीज और इसके छिलके भी खाये जा सकते है। तरबूज के सभी हिस्से पोषक तत्वों से भरपूर होते है। तरबूज के बीज मगज कहलाते हैं। इनका उपयोग ठंडाई बनाने में किया जाता है।
तरबूज फल है या सब्जी यह हमेशा वाद विवाद का विषय बनता रहा है। कुछ लोग इसे कददू की प्रजाति का फल मानते है तो कुछ लोग इसे ककड़ी प्रजाति की सब्जी मानते है।
वैसे तरबुज का उपयोग फल की तरह ही ज्यादा होता है। इसे काट कर ताजा-ताजा खाने में बड़ा मजा आता है। कुछ देशों में तरबुज के छिलके की सब्जी बहुत लोकप्रिय है। कहीं कहीं तरबुज के छिलके का अचार भी बनाया जाता है।वैज्ञानिकों ने अब बिना बीज वाले तरबुज विकसित कर लिए है जिससे तरबुज खाने का मजा और भी बढ़ गया है।
तरबूज के पोषक तत्व – Watermelon Nutrients
तरबूज में कई प्रकार के पोषक तत्व होते है। इसमें पाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व एल – सिटरुलीन होता है। जो हृदय के लिए तथा माँसपेशियों के लिए बहुत हितकारी होता है। यह तत्व सिर्फ तरबूज में ही इतनी अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इसके अलावा तरबूज में विटामिन C , विटामिन A , विटामिन बी 1 , तथा विटामिन बी 6 , पैण्टोथेनिक एसिड तथा खनिज के रूप में कॉपर , बायोटिन , पोटेशियम तथा मैग्नेशियम होते है।
यह बीटा केरोटीन तथा लाइकोपीन का भी अच्छा स्रोत है। इसमें केलोरी बहुत कम होती है। एक कप या 150 ग्राम में लगभग 45 केलोरी होती है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर भी होते है जो कब्ज दूर करते हैं।
तरबूज के फायदे – Watermelon Benefits
ह्रदय रोग – Heart Disease
खाने पीने में बदलाव लाकर तथा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके ह्रदय रोग होने की संभावना को कम किया जा सकता है। तरबूज इस काम के लिए बहुत उपयुक्त है। क्योंकि यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल दोनों को कम करता है।
तरबूज में एल – सिटरुलीन नाम का एमिनो एसिड होता है । गुर्दे इसके उपयोग से एल – आर्जीनीन नामक एमिनो एसिड बनाते है । यह एमिनो एसिड नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा करता है जो नसों को फैलने में मदद करता है।
इससे रक्त के संचरण में आसानी हो जाती है और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। यह प्रक्रिया ह्रदय रोग के समय बहुत मददगार साबित होती है।
इसमें मौजूद लाइकोपीन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। यह कोलेस्ट्रॉल में होने वाले ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकता है। लाइकोपीन रक्त शिराओं को मुलायम बनाये रखने में सहायक होता है।
इसके अलावा तरबूज में पाए जाने वाले विटामिन , पोटेशियम तथा मैग्नेशियम भी ह्रदय को स्वस्थ रखने में मददगार होते है। इसमें केलोरी कम होने के कारण यह वजन कम करने में भी सहायक होता है। अलग अलग भाषाओँ में इसे कालिंद , कलिंगर , तरमुज, और हिंदवाना आदि नामों से जाना जाता है।
यौन उत्तेजना – Excitement
तरबूज में पाया जाने वाला एल – सिटरुलीन नाम के एमिनो एसिड की मदद मिलने के कारण नसों में रक्त का संचार अच्छा होता है। इस प्रक्रिया के कारण यौन अंगों में भी रक्त का प्रवाह बढ़ता है। यौन अंग स्वस्थ होते है तथा यौन सम्बन्ध में रूचि जागृत होती है।
इसीलिए लिंग में उत्तेजना की कमी या लिंग में कड़ेपन की समस्या में तरबूज का नियमित सेवन लाभदायक होता है। इस प्रकार तरबूज यौन शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है। महिलाओं में भी यौन संबंधों में रूचि कम हो जाने की समस्या इससे सुधर सकती है । यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवा वियाग्रा इसी सिद्धांत पर काम करती है।
त्वचा -Skin
तरबूज से मिलने वाले विटामिन A तथा विटामिन C स्किन के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होते है। विटामिन C की मदद से शरीर कोलेजन नामक प्रोटीन बनाता है जो स्किन को कोमल और जवान बनाये रखता है।
विटामिन A स्किन की कोशिका के बनने तथा उनकी मरम्मत में सहायक होता है। विटामिन A की कमी से आपकी त्वचा रूखी सूखी हो जाती है। तरबूज में मौजूद लाइकोपीन तथा बीटा केरोटीन त्वचा को सनबर्न होने से भी बचाते है।
बाल – Hair
जिस प्रकार विटामिन A तथा विटामिन C त्वचा के लिए लाभदायक है उसी प्रकार ये बालों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होते है। क्योकि बालों को रेशमी और मजबूत और बने रहने के लिए आवश्यक प्रोटीन इन्ही तत्वों की मदद से मिलता है। कुछ समय नियमित तरबूज खाने से बाल स्वस्थ और सुन्दर बन सकते हैं ।
आँखें – Eyes
तरबूज में पाया जाने वाला तत्व लाइकोपीन आँख के मेक्यूला को ख़राब होने से बचाता है। अक्सर उम्र बढ़ने के साथ मेक्यूला का ख़राब होना नजर में कमजोरी का प्रमुख कारण होता है। मेक्यूला से ही आँख से दिखने वाले दृश्य दिमाग तक पहुंचते है।
तरबूज से मिलने वाला विटामिन A भी आँखों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी होता है। इसलिए तरबूज खाने से आँखें स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
बोडी बिल्डिंग , मांसपेशियाँ – Muscles
तरबूज से मिलने वाला L-Citrulline नामक एमिनो एसिड Nitric Oxide (NO) को बढ़ाता है जिससे रक्त संचार मेंसुधार होता है। इससे मसल्स को रक्त के माध्यम से मिलने वाले पोषक तत्व और ऑक्सीजन में वृद्धि होती है। जिसके कारण मसल्स में जल्दी थकान नहीं होती और दर्द नहीं होता ।
इसलिए अधिक एक्सरसाइज कर सकते हैं जो बॉडी बिल्डिंग के लिए जरुरी होता है ।अधिक एक्सरसाइज करने से मसल्स में अमोनिया जमा होने से भी थकान होने लगती है। Citrulline इस प्रकार से होने वाली थकान को भी दूर करता है।
सिर्फ बॉडी बिल्डिंग करने वालों को ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार के गेम्स में हिस्सा लेने वाले लोगों को माँसपेशियों में अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, जो तरबूज से सिटरुलीन के रूप में मिल सकती है।
प्रतिरोधक क्षमता – Resistance Power
तरबूज में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होता है। विटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके कारण सामान्य रूप से होने वाले सर्दी जुकाम आदि से बचाव होता है।
यह गुर्दों को शक्तिशाली बनाता है जिससे शरीर में से विषैले तत्व बाहर निकल जाते है और कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों से भी बचाव हो सकता है।
तरबूज कैसे और कहाँ रखना चाहिए
Where and How to Keep Watermelon
तरबूज को रखने के लिए 10°C से 16°C तक का तापमान अनुकूल होता है। इसलिए साबुत तरबुज को फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। क्योंकि फ्रिज में 4°C तापमान होता है। इस तापमान पर तरबूज का स्वाद ख़राब हो सकता है तथा इसके पोषक तत्व भी नष्ट हो सकते है ।
तरबूज को धूप में नहीं रखना चाहिए। धूप की गर्मी से यह ख़राब हो सकता है। यानि तरबुज को फ्रिज से बाहर ठंडी जगह पर रखना चाहिए । तरबूज को काटने के बाद फ्रिज में रख सकते हैं। इसे काटने के बाद एयरटाइट ढ़क्कन वाले प्लास्टिक या कांच के कंटेनर में रखना चाहिए ताकि यह फ्रेश , रसेदार और टेस्टी बना रहे।
साबुत तरबुज को सेब , नाशपाती और पपीता आदि के साथ नहीं रखना चाहिए क्योकि ये एथिलीन गैस ज्यादा छोड़ते है। तरबुज एथिलीन के प्रति सेंसिटिव होता है और इससे यह जल्दी पककर ख़राब हो सकता है।
कच्चे सफ़ेद तरबूज में पोषक तत्वो का अभाव होता है तथा पचने में भी भारी होता है। इसलिए पका हुआ लाल तरबुज ही खाना चाहिए क्योंकि तरबूज पककर जितना ज्यादा लाल होता है उसमे उतने ही ज्यादा पोषक तत्व होते है। लाल तरबूज काटने के बाद भी इसके पोषक तत्व एक दो दिनों तक बरक़रार रहते है।