तिल्ली हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्तवपूर्ण अंग है जो सारे शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाने के लिये चुपचाप काम करता रहता है । तिल्ली ...
तिल्ली हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्तवपूर्ण अंग है जो सारे शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाने के लिये चुपचाप काम करता रहता है । तिल्ली में अक्सर समस्यायें कम होती हैं किंतु यदि कोई समस्या हो भी जाये तो आयुर्वेदिक चिकित्सा और घरेलू नुस्खों के द्वारा उन पर काबू पाया जा सकता है ।
तिल्ली वृद्धि का कारण
इस रोग की उत्पत्ति मलेरिया के कारण होती है। मलेरिया रोग में शरीर के रक्तकणों की अत्यधिक हानि होने से तिल्ली पर अधिक जोर पड़ता है। ऐसी स्थिति में जब रक्तकण तिल्ली में एकत्र होते हैं तो तिल्ली बढ़ जाती है।
तिल्ली वृद्धि का लक्षण
तिल्ली में वृद्धि होने से पेट के विकार, खून में कमी तथा धातुक्षय की शिकायत शुरू हो जाती है। यह रोग भी मनुष्य को बेचैनी एवं कष्ट प्रदान करता है। शुरू में इस रोग का उपचार करना आसान होता है, परंतु बाद में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
तिल्ली वृद्धि की पहचान
तिल्ली वृद्धि में स्पर्श से उक्त भाग ठोस और उभरा हुआ दिखाई देता है। इसमें पीड़ा नहीं होती, परंतु यथासमय उपचार न करने पर आमाशय प्रभावित हो जाता है। ऐसे में पेट फूलने लगता है। इसके साथ ही हल्का ज्वर, खांसी, अरुचि, पेट में कब्ज, वायु प्रकोप, अग्निमांद्य, रक्ताल्पता और धातुक्षय आदि विकार उत्पन्न होने लगते हैं। अधिक लापरवाही से इस रोग के साथ-साथ जलोदर भी हो जाता है। तिल्ली (Spleen) बढ़ गयी है तो घरेलूउपचार बहुत काम के सिद्ध होते हैं।
तिल्ली वृद्धि को ठीक करने के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं
- नीम्बू का प्रयोग
नीम्बू को हल्का गर्म करके उसको बीच में से काटकर उस पर सेंधा नमक लगाकर रोज दोनों समय भोजन से पूर्व चूसने से कुछ ही सप्ताहों में तिल्ली अपने आकार में वापिस आ जाती है ।
- पपीते का सेवन
तिल्ली बढ़ने की समस्या में पपीते का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है । तिल्ली के रोगी को रोज एक बार कच्चे पपीते की सब्जी अथवा पके पपीते के फल का सेवन जरूर करना चाहिये ।
- करेले का सेवन
करेले का सेवन तिल्ली के रोगी के लिये अमृत से कम नही होता है । तिल्ली के बढ़ जाने के रोगियों को रोज 100 मिलीलीटर करेले के रस का सेवन जरूर करना चाहिये ।
- अजवायन का सेवन
अजवायन का सेवन तिल्ली के रोगी को किसी ना किसी तरह से जरूर करना चाहिये । अजवायन को भून कर भी खाया जा सकता है और कच्चा भी पानी के साथ सेवन किया जा सकता है । भूनी हुयी अजवायन को गाजर के ताजे निकाले हुये रस के साथ घोलकर भी सेवन करने से बहुत ही उत्तम लाभ प्राप्त होते हैं ।
- बथुये और मूली का सेवन
तिल्ली के रोगी के लिये बथुये और मूली का सेवन बहुत ही ज्यादा अच्छा माना जाता है । तिल्ली बढ़ जाने पर बथुये और मूली के पत्तों का रस का सेवन किया जा सकता है अथवा चोकर वाले आटे में बथुये और मूली की चपातियॉ बना कर खायी जा सकती हैं ।
- सेंधा नमक, अजवायन और गरम पानी
सेंधा नमक (1/2 ग्राम) और अजवायन का चूर्ण (2 ग्राम) मिलाकर गरम पानी के साथ लेने से तिल्ली की वृद्धि में लाभ होता है।
- गिलोय, शहद और पीपल
गिलोय के दो चम्मच रस में 3 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण और एक-दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तिल्ली का विकार दूर होता है।
- हरड़, सेंधा नमक, पीपल और गुड़
बड़ी हरड़, सेंधा नमक और पीपल का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ खाने से तिल्ली में आराम होता है।
- त्रिफला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सहिजन, दारुहल्दी, कुटकी और गिलोय
त्रिफला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सहिजन की छाल, दारुहल्दी, कुटकी, गिलोय एवं पुनर्नवा के समभाग का काढ़ा बनाकर पी जाएं।
- नौसादर और गरम पानी
1/2 ग्राम नौसादर को गरम पानी के साथ सुबह के वक्त लेने से रोगी को शीघ्र लाभ होता है।
- अंजीर और जामुन
दो अंजीर को जामुन के सिरके में डुबोकर नित्य प्रात:काल खाएं। तिल्ली का रोग ठीक हो जाएगा।
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं, फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही इन प्रयोगों को करने की हम आपको सलाह देते हैं ।
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