हैलो, हाय कहने से आधुनिक और स्मार्ट होने का कितना ही गर्व महसूस होता हो लेकिन प्रणाम की वैज्ञानिकता अद्भुत और अलौकिक है। झुककर या हाथ ...
हैलो, हाय कहने से आधुनिक और स्मार्ट होने का कितना ही गर्व महसूस होता हो लेकिन प्रणाम की वैज्ञानिकता अद्भुत और अलौकिक है। झुककर या हाथ मिलाकर अथवा गले लगकर किसी का अभिवादन करने से आपसी संबंध तो प्रगाढ़ हो सकते हैं तथा व्यक्ति के सभ्य सुसंस्कृत होने की छवि भी बनती है लेकिन झुककर चरण स्पर्श करने का अलग ही महत्व है।
प्रणाम के लिए जब हम गुरुजनों के चरणों में झुकते हैं तो उनकी प्राण ऊर्जा से जुड़ जाते हैं और वह ऊर्जा प्रणाम करने वाले की चेतना को भी ऊपर उठाती है अगर निम्न स्तर के लोगों को प्रणाम किया जाए तो उससे हानि की संभावना ही ज्यादा रहती है क्योंकि उस स्थिति में प्राण प्रवाह उलटी दिशा में बहने लगता है।
नमस्ते करने के लिए, दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। इस विधि का विस्तार करते हुए हाथों को स्वाधिष्ठान चक्र (भौहों के बीच का) पर रखकर सिर झुकाकर और हाथों को हृदय के पास लाकर भी नमस्ते किया जा सकता है- जरूरी नहीं कि नमस्ते, नमस्कार या प्रणाम करते हुए ये शब्द बोले भी जाएं- नमस्कार या प्रणाम की भावमुद्रा का अर्थ ही उस भाव की अभिव्यक्ति है।
वास्तव में उच्चकोटि का तपस्वी या साधक अपने चरणों का स्पर्श क्यों नहीं करने देता है? क्योंकि उसकी संचरित प्राण-उर्जा कहीं चरण स्पर्श करने वाले में न समां जाए। साधक ने यह उर्जा अपने तप और साधना से अपने अंदर समाहित की है यदि वास्तविक श्रेष्ठ साधक या तपस्वी चाहे तो अपने शिष्य को सिर्फ एक ही पल में शक्तिपाद द्वारा अपने जैसा योग्य बना सकता है और अपने द्वारा प्राप्त की गई सभी सिद्धियों को एक पल में दे सकता है।
अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है। सनातन धर्म में अपने से बड़े के आदर के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है। प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चरण स्पर्श के कई लाभ हैं।
चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना। इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है। साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है। हर रोज बड़ों के अभिवादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोत्तरी होती है। माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है।
मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श नियमित तौर पर करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं। प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है।
जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर के ऊपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है। ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है, इससे हमारा आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास होता है।
न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं, साथ ही गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है। हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है। सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है, यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है। दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है- पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं।
मानव शरीर पंच तत्वों से निर्मित है जो सजातीय तत्वों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। मित्रता, स्नेह , ममता व प्रेम इसी आकर्षण की उपज हैं। यह आकर्षण या खिंचाव एक चुम्बकीय गुण है। प्रत्येक जीवधारी में एक ही समय में तीन वैज्ञानिक सिद्धांत एक साथ कार्य करते रहते हैं।
चुम्बकीय शक्ति, तात्विक गुण, विद्युतीय उर्जा। हम अगर चिन्तन करें तो पाते हैं कि प्रतिदिन हम अनेक लोगों से मिलते है, उनमें से कुछ को हम याद नहीं रखते और कुछ के साथ हमारा मित्रता का भाव प्रकट हो जाता है और उनसे ये लगाव, मित्रता या खिंचाव उस व्यक्ति विशेष में समाहित चुम्बकीय गुण के कारण होता है, जो सजातीय गुण वाले व्यक्ति को अपनी और आकर्षित करता है।
शरीर की उर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति में पहुंचती है। श्रेष्ठ व्यक्ति में पहुंचकर उर्जा में मौजूद नकारात्मक तत्व नष्ट हो जाता है।
सकारात्मक उर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति से आशीर्वाद के माध्यम से वापस मिल जाती है, इससे जिन उद्देश्यों को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम करते हैं उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है।
पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है, यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती हैं। पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं। पहले झुककर पैर छूना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छूने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है।
इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छूना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है, इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है।
प्रत्येक दिन प्रातःकाल और किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले हमें अपने घर के बड़े बुजर्गों के, माता पिता के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए, इससे हमारे कार्य में सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है, हमारा मनोबल बढ़ता है और सकारात्मक उर्जा मिलती है, नकारात्मक शक्ति घटती है।